अहमदाबाद
भले ही गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल्स कांग्रेस के लिए बुरी खबर लेकर आए हों, लेकिन 16 दिसंबर को होने वाली राहुल गांधी की ताजपोशी पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। कांग्रेस सूत्रों ने साफ किया है कि राहुल को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने के कार्यक्रम में कोई फेरबदल नहीं किया जाएगा। बता दें कि कम से कम 9 एग्जिट पोल्स ने यह अनुमान जताया है कि गुजरात में बीजेपी 100 से ज्यादा सीटें जीतेगी। 16 दिसंबर को राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अगर 18 दिसंबर को नतीजे इसी तर्ज पर रहते हैं, तो राहुल के लिए असहज स्थिति पैदा हो जाएगी।
दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि राहुल को अध्यक्ष बनाए जाने के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा क्योंकि पार्टी को गुजरात में सकारात्मक नतीजे आने का पूरा यकीन है। एक नेता ने कहा, ‘गुजरात में फिलहाल हमारे पास 43 सीटें हैं। हमें भरोसा है कि इस संख्या में अच्छा इजाफा होगा। एग्जिट पोल्स कई बार गलत साबित हो चुके हैं। ये सिर्फ शेयर बाजार में फील-गुड माहौल को बढ़ाने के मकसद से किए जाते हैं।’
क्या नतीजे आने के दो दिन पहले ही राहुल गांधी को अध्यक्ष इसलिए बनाया जा रहा है कि उन्हें शर्मिंदगी से बचाया जा सके? इस सवाल के जवाब में मध्य प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले एक कांग्रेस नेता ने कहा, ‘राहुल गांधी ने इस गुजरात में चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया। उन्होंने पूरा गेम बदलकर रख दिया। राहुल की वजह से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात में 36 सभाएं करने को मजबूर होना पड़ा। हमें जीत की पूरी उम्मीद है। इसका पूरा श्रेय राहुल गांधी को जाता है और गुजरात में हमारी जीत से उनका नेतृत्व और मजबूत होगा।’
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि युवाओं का रुझान कांग्रेस की ओर हुआ है और इसकी वजह राहुल गांधी हैं। इसका फायदा पार्टी को 2019 के चुनाव में होगा। गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने कहा, ‘ये सभी अटकलें गलत हैं। पार्टी ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि 16 दिसंबर को राहुल गांधी पार्टी की कमान संभाल लेंगे। हमने जो कहा हम उसके लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें जीत का पूरा भरोसा है। राहुल जी की अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति पहले से तय कार्यक्रम के हिसाब से की जा रही है, इसका चुनाव के नतीजों से कुछ लेना-देना नहीं है।’
एक सीनियर कांग्रेस पदाधिकारी ने दावा किया कि एग्जिट पोल्स हैरान करने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘पार्टी राहुल गांधी को 16 दिसंबर को औपचारिक तौर पर यह सोचकर अध्यक्ष बनानी चाहती थी कि उसके दो दिन बाद आने वाले नतीजों में जीत मिलेगी और उसका श्रेय पार्टी अध्यक्ष को जाएगा, लेकिन हो सकता है कि हम गलत साबित हों।’
दूसरी तरफ विरोधियों ने अभी से राहुल गांधी को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है। गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि राहुल गांधी का ‘मंदिर पर्यटन’ और हार्दिक के कंधे पर सवार होने की रणनीति फ्लॉप हो गई है। उधर शंकरसिंह वाघेला खेमे के एक पूर्व कांग्रेस विधायक ने कहा, ‘अब कांग्रेस राहुल गांधी का बचाव करने के लिए दिन-रात काम में जुट जाएगी और बलि का बकरा ढूंढा जाएगा। यह कांग्रेस का पुराना काम है।’
राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले एक कांग्रेस नेता ने कहा, ‘राहुल गांधी काफी सहनशील व्यक्ति हैं। गुजरात ने उन्हें काफी कुछ सिखाया है। उनके पास उम्र है और गुजरात से मिले सबक उनके लिए अमूल्य होंगे। उनके राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाने में ये काफी अहम रोल अदा करेंगे। राहुल अब गुजरात और उसकी बारिकियों को काफी बेहतर समझते हैं।’