नई दिल्ली
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हार-जीत की तस्वीर भले ही लगभग साफ नजर आ रही हो, लेकिन दोनों पक्ष एक दूसरे के उम्मीदवार की छवि को चोट पहुंचाने की हर संभव कोशिश में जुटे हैं। विपक्ष ने एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के आरक्षण पर दिए पुराने बयानों के सहारे उन पर हमला बोला तो जवाब में बीजेपी की ओर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विपक्ष की साझा प्रत्याशी मीरा कुमार पर ‘विडियो अटैक’ किया। अब बीजेपी खेमा मीरा कुमार के खिलाफ नए हमले करने की तैयारी कर रहा है।
बीजेपी दरअसल मीरा कुमार से जुड़े कुछ पुराने विवादों को फिर सामने लाने वाली है। ये विवाद उनके लोकसभा स्पीकर रहने के दौरान खड़े हुए थे। इनमें लुटियंस जोन में बंगलों के आवंटन का मुद्दा भी उठाया जा सकता है। बता दें कि लोकसभा स्पीकर रहने के दौरान मीरा कुमार के ‘बंगला विवाद’ ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। मीरा कुमार पर आरोप लगा था अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने 6, कृष्ण मेनन मार्ग पर मिले बंगले को न सिर्फ 25 सालों यानी 2038 तक के लिए आवंटित करा लिया बल्कि उसे बाबू जगजीवन राम के स्मारक के रूप में बदल दिया।
यह आवंटन साल 2000 में एनडीए सरकार द्वारा बनाए गए उस नियम के खिलाफ था जिसके तहत लुटियंस जोन में कोई स्मारक न बनाए जाने की बात कही गई थी, लेकिन नियम को ताक पर रखते हुए बंगला फाउंडेन को अलॉट कर दिया गया। इस बात की भी परवाह नहीं की गई कि फाउंडेशन के ज्यादातर सदस्य मीरा कुमार के परिवार से ही थे।
बाद में जब पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के परिवार की ओर से इसी तरह की मांग रखी गई तो उसे अनदेखा कर दिया गया। इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और चंद्रशेखर के परिवारों ने भी उनके बंगलों को स्मारक बनाने की मांग की, लेकिन उनकी मांग को खारिज कर दिया गया।
बता दें कि इसके पहले विपक्षी खेमा आरक्षण पर रामनाथ कोविंद के राज्यसभा में दिए गए बयानों को लेकर उन्हें टारगेट कर चुका है। विपक्ष ने आरक्षण को लेकर उनकी प्रतिबद्धता संदिग्ध होने की बात कही थी। इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक वीडियो जारी करते हुए मीरा कुमार पर हमला किया था। विडियो के जरिए उन्होंने बताने की कोशिश की कि किस तरह लोकसभा स्पीकर रहते हुए मीरा कुमार ने 6 मिनट की स्पीच में उन्हें 60 बार टोका था। उन्हें अपना भाषण पूरा नहीं करने दिया गया था, जिसके बाद सुषमा और बीजेपी ने मीरा कुमार द्वारा बुलाई जाने वाली सभी बैठकों का बहिष्कार करने का फैसला किया था।