नई दिल्ली
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने रविवार को अपने विदाई भाषण में अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान तमाम उतार-चढ़ाव और सीख का जिक्र किया। मुखर्जी ने इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू से लेकर लाल कृष्ण आडवाणी, सोनिया गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी जैसे तमाम वरिष्ठ नेताओं का भी जिक्र किया। मुखर्जी ने साथ ही जाते-जाते संसद में समय की बर्बादी पर चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि पहले संसद में गंभीर चर्चा होती थी।
मुखर्जी ने कहा, ‘संसद ने मुझे एक व्यक्ति के रूप में निर्मित किया। लोकतंत्र के इस मंदिर में मेरी रचना हुई। मैं थोड़ा भावुक महसूस कर रहा हूं। मैं 37 साल तक राज्यसभा और लोकसभा का सदस्य रहा। आप सभी को इस शानदार विदाई समारोह के लिए शुक्रिया। संसद के दोनों सदनों के सदस्यों का धन्यवाद। मैं 22 जुलाई 1969 को अपने पहले राज्यसभा सत्र में शामिल हुआ था। संसद में 37 साल का सफर 2012 में 13वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने के बाद खत्म हुआ था, फिर भी जुड़ाव वैसा ही रहा। ‘
देश के 13वें राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा, ‘मैं 5 बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा का सदस्य रहा। राज्यसभा में मैं 4 बार पश्चिम बंगाल से और एक बार गुजरात से चुना गया। मैं 34 साल की उम्र में ही संसद पहुंच गया था। संसद में मेरा कार्यकाल काफी शानदार रहा। मेरे कार्यकाल में मैंने कई नेताओं से सीख ली। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मेरी मार्गदर्शक थीं। मैंने वरिष्ठों से काफी सीखा। अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान मैंने डॉ मनमोहन सिंह, लाल कृष्ण आडवाणी, सोनिया गांधी जैसी नेताओं से काफी कुछ सीखा।’
मुखर्जी ने कहा, ‘हमारा संविधान देश की गरिमा है। इससे सामाजिक, आर्थिक बदलाव की रूपरेखा बनाई जा सकती है। संविधान एक अरब देशवासियों की आत्मा है। पहले संसद में गंभीर चर्चा होती थी। राज्यसभा उत्कृष्ट वक्ताओं से भरा था। अब व्यवधान और बहिष्कार से सदन का नुकसान होता है। संसद में चर्चा का समय घट रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘अब मैं संसद का हिस्सा नहीं रहूंगा। यादों का इंद्रधनुष लेकर मैं जा रहा हूं। मैं आपसे विदा लेता हूं। खुशी से।’ गौरतलब है कि बतौर राष्ट्रपति मुखर्जी का सोमवार को अंतिम दिन है। 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पद की शपथ लेंगे। मुखर्जी के भाषण से पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने विदाई भाषण दिया। सुमित्रा महाजन ने सम्मान पत्र पढ़ा और कहा कि प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति के तौर पर आदर्शों की मिसाल पेश की। प्रणव मुखर्जी के संसद पहुंचने पर लोकसभा अध्यक्ष महाजन, उपराष्ट्रपति अंसारी और पीएम मोदी ने स्वागत किया।
अपने विदाई भाषण में प्रणब मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर से लेकर राष्ट्रपति कार्यकाल के यादगार पलों को उल्लेख किया. राष्ट्रपति के विदाई भाषण की ये हैं प्रमुख 10 बातें:
1. संसद ने मेरी राजनीतिक सोच को आकार दिया है. मैंने अपने जीवन में बहुत कुछ सीखा है.
2. मेरे करियर को इंदिरा गांधी ने दिशा दी. मुझे इस लोकतंत्र के मंदिर ने तैयार किया है.
3. देश की एकता संविधान का आधार है.
4. जीएसटी पास होना परिपक्व लोकतंत्र की निशानी है.
5. संसद में बिना बहस के पास हुआ बिल जनता के साथ धोखा है.
6. संसद में व्यवधान सरकार के ज्यादा विपक्ष के लिए नुकसानदायक है.
7. भारत में अलग-अलग धर्मों के लोग संविधान की छत्रछाया में रहते हैं.
8. वरिष्ठ सदस्यों के भाषणों से मैंने सीख ली.
9. संसद में कम हो रहा कामकाज चिंता का विषय.
10. शानदार कार्यक्रम के लिए सभी का शुक्रिया.