नई दिल्ली
ओला और ऊबर की तर्ज पर मोदी सरकार भी ऐप बेस्ड कैब सर्विस शुरू कर सकती है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हालांकि यह योजना अभी बेहद शुरुआती स्तर पर है, लेकिन सरकार इसे लेकर काफी गंभीर है। वहीं दुनिया भर में ड्राइवरलेस कारों को लेकर बढ़ रही चर्चाओं पर भी उन्होंने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में भले ही ड्राइवरलेस कारों को लेकर काफी उत्साह बढ़ रहा हो, लेकिन भारत में फिलहाल ऐसी कारों के लिए कोई जगह नहीं होगी। रोड ऐंड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ने कहा कि सरकार को लाखों ड्राइवरों की नौकरी की चिंता है, ऐसे में ड्राइवरलेस कार पर विचार कर वे लाखों लोगों की नौकरियों को झटका नहीं देना चाहते।
गडकरी ने कहा, ‘सरकारी प्लैटफॉर्म ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना चाहता है। ओला और ऊबर की तर्ज पर सरकार की तरफ से ऐप लाने की योजना अभी बेहद शुरुआती दौर में है, लेकिन हम इस पर गंभीरता से काम कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि आप लोगों ने महसूस किया होगा कि ट्रकर्स और टैक्सी एग्रीगेटर्स के जरिए ट्रांसपोर्ट मार्केट में हजारों नई नौकरियां आ रही हैं, ऐसे में ड्राइवरलेस कार जैसी टेक्नॉलजी लाखों लोगों को बेरोजगार बना सकती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अभी इस तरह की टेक्नॉलजी भारत के बाजार के लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हो सकता है कि आने वाले समय में हम इस टेक्नॉलजी को नजरअंदाज न कर पाएं, लेकिन फिलहाल हम इसे भारत में आने की इजाजत नहीं दे सकते।’
बता दें कि चीन की बायडू, गूगल, ऊबर, मर्सेडीज, फोर्ड और जनरल मोटर्स जैसे दुनिया भर के कारमेकर्स और टेक्नॉलजी कंपनियां साथ मिलकर ड्राइवरलेस कारों पर काम कर रहे हैं, इनमें कई जगह टेस्ट भी हो चुका है। टेस्ला मोटर्स के सीईओ यह बात कह चुके हैं कि 2017 के आखिर तक वह दुनिया के सामने ऐसी कार पेश करने वाले हैं, जिसे चलाने के लिए ड्राइवर की जरूरत नहीं होगी। वोल्वो ने भी ड्राइवरलेस XC90s कार के राइड शेयर के मकसद से टेस्टिंग के लिए ऊबर के साथ पार्टनरशिप की है। ऊबर ने यह टेस्ट पिछले साल सितंबर में किया था। भारत में टाटा भी इस टेक्नॉलजी पर काम कर रहा है। वहीं पिछले दिनों इन्फोसिस के सीईओ सिक्का अपनी कंपनी के क्वॉर्टर के नतीजे पेश करने एक ड्राइवरलेस कार्ट में पहुंचे थे, उन्होंने कहा था कि टेक्नॉलजी के विकास में भारत किसी भी देश से पीछे नहीं है।