साल 2017 चल रहा है और बीजेपी ने पीएम मोदी के नेतृत्व में करीब-करीब पूरे देश में एक मजबूत आधार बना लिया है। ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए सफलता की आशाओं से भरा हो सकता है। देश में उत्तर, पश्चिम और पूर्व में हर तरफ बीजेपी का आधार मजबूत हुआ है। इस स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2019 में सत्ता में वापसी करने की संभावना पहले से अधिक प्रबल होती दिखाई पड़ रही है।
तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम में अब जेडीयू के नीतीश कुमार भी बिहार में बीजेपी के साथ हैं। बिहार में सरकार में आने के साथ ही साथ बीजेपी और उसके सहयोगी दलों का देश की लगभग 70 फीसदी से अधिक आबादी पर शासन हो गया है। इस भगवा पार्टी की छाप तकरीबन देश के सभी हिस्सों तक पहुंच गई है।
बीजेपी और उसके सहयोगियों की उन 12 राज्यों में से सात में सरकार है, जहां से 20 या इससे अधिक लोकसभा सदस्य चुने जाते हैं। ऐसे पांच गैर बीजेपी राज्यों में फिलहाल क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व है। इसमें तमिलनाडु में एआईएडीएमके और ओडिशा में बीजेडी का भगवा कैंप की तरफ झुकाव अक्सर दिखता रहा है।
बीजेपी के विस्तार के साथ ही पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस का ग्राफ तेजी से नीचे गया है। अब देश की सबसे पुरानी पार्टी (130 साल पुरानी) के पास सिर्फ कर्नाटक जैसा बड़ा राज्य बचा हुआ है। कर्नाटक में भी अगले साल चुनाव होना है और बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी यहां भी सत्ता हासिल कर कांग्रेस को बेदखल करने के लिए पूरी मेहनत कर रही है।
कामरूप से कच्छ और कश्मीर से कन्याकुमारी तक पैर पसारने के अपने मिशन पर आगे बढ़ते हुए बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों की सत्ता हासिल की। अब नीतीश कुमार के साथ आने से बीजेपी के मिशन को और भी बल मिला। एक तरह से बीजेपी के मिशन का आधा हिस्सा पूरा हो चुका है। अब पूरब की दिशा में ममता बनर्जी की मौजूदगी की वजह से पश्चिम बंगाल ही एक ऐसा राज्य बचा है, जो बीजेपी की पहुंच से बाहर है।
बीजेपी ने दक्षिण के राज्यों में भी अपनी पैठ बनाई है। आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ वह सरकार में है। तेलंगाना और तमिलनाडु (तेलंगाना राष्ट्र समिति और एआईएडीएमके) में सत्तारुढ़ दलों के साथ भी बीजेपी के मित्रवत संबंध हैं। नीतीश के साथ आने से उत्साहित बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता का मानना है कि इसकी वजह से एनडीए के खिलाफ विपक्षी एकता की कवायद को चोट पहुंचा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता कहते हैं, ‘2019 में विपक्ष की ओर से कौन चेहरा होगा? अखिलेश यादव, मायावती, ममता बनर्जी, लालू प्रसाद? भ्रष्टाचार और सुशासन पर हमें इनमें से कोई नहीं घेर सकता। नीतीश का मामला अलग था।’