क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर भारत में व्हिस्की इतनी महंगी क्यों है? इस बारे में व्हिस्की बनाने वाले दुनिया के टॉप ब्रैंड का कहना है कि भारत में व्हिस्की की महंगी बोतल फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) को टेस्टिंग सैंपल के तौर पर भेजना बहुत ही महंगा सौदा है। दुनिया में सबसे अधिक व्हिस्की प्रड्यूस करने वाले ब्रैंड से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि ‘अगर हम दुनिया में व्हिस्की की केवल 20 बोतल ही बना पा रहे हैं, तो एक बोतल सिर्फ टेस्टिंग के लिए सैंपल के तौर पर भेजना हम अफ़ोर्ड नहीं कर सकते।’
फिलहाल बाजार में प्रीमियम जैपनीज और बर्बन व्हिस्की दोनों के लिए उहापोह की स्थिति बनी हुई है। इस बारे में व्हिस्की ऐम्बैस्डर संदीप अरोड़ा के का कहना है कि ‘जैपनीज कम मात्रा व्हिस्की प्रड्यूस करते हैं। ऐसी स्थिति में व्हिस्की बनाने वाला यामाजाकी जैसा 25 साल पुराना ब्रैंड भी अपने प्रॉडक्ट को भारत में सिर्फ इसलिए लाने से कतराता है कि सैंपलिंग के लिए एक बोतल एफएसएसएआई को भेजना मूर्खता होगी।’ इसके साथ ही एक और वजह जो इन व्हिस्की ब्रैंड्स को भारत में आने से रोकती है, वह है इनकी कीमत। दूसरे देशों में व्हिस्की की एक बोतल की कीमत 6 से 8 लाख रुपए के बीच होती है।
अरोड़ा बताते हैं ‘अब व्हिस्की की दुनिया में ‘रेयर’ की परिभाषा भी बदल गई है। आज से करीब 10-15 साल पहले रेयर व्हिस्की का मतलब होता था, मख़ालन, ग्लिनफिडिख़ और डालमोर जैसे ब्रैंड्स की 40 से 60 साल पुरानी व्हिस्की। लेकिन अब मैन्युफैक्चरर्स लिमिडेट एडिशन बीस्पोक व्हिस्की पर पूरा ध्यान दे रहे हैं। इसके पीछे वजह है कि ये मात्रा में बेहद सीमित होंगी और इसलिए आसानी से मिलेंगी भी नहीं।
भारत में व्हिस्की ब्रैंड्स की दिक्कतों पर एफएसएसआई के सीईओ पवन अग्रवाल का कहना है कि नियमों की अनदेखी नहीं की जा सकती। इसलिए व्हिस्की ब्रैंड्स को इस दिक्कत के समाधान के साथ आना चाहिए। अग्रवाल आगे कहते हैं ‘टेस्टिंग के बाद बॉटल वापस की जा सकती है। लेकिन वह खुली बोतल को बेच नहीं पाएंगे। ऐसे में इस मुद्दे पर हम बातचीत के लिए तैयार हैं। ब्रैंड्स चाहेंगे तो खुली हुई बॉटल को ड्यूटी फ्री शॉप्स पर बेच सकेंगे।