मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए 1 अक्तूबर से आधार नंबर की जरूरत होगी, हालांकि यह अनिवार्य नहीं होगा। अगर आवेदक को मृत व्यक्ति का आधार नंबर या एनरॉलमेंट आईडी नंबर न पता हो तो उसे एक हलफनामा देना होगा कि उसकी जानकारी में मृत व्यक्ति के पास आधार नंबर नहीं था। अगर आवेदक द्वारा दिए हलफनामे की जानकारी गलत पाई जाती है तो इसे आधार ऐक्ट 2016 और रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ ऐंड डेथ ऐक्ट 1969 के तहत अपराध माना जाएगा।
शुक्रवार को जारी किए गए एक नॉटिफिकेशन में गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) ने कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने वालों के लिए आधार संख्या का उपयोग रिश्तेदारों, आश्रितों या मृतक के परिचितों द्वारा दी गई जानकारी की पुष्टि करने में किया जाएगा। यह पहचान से जुड़ी धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक प्रभावी तरीका होगा और मृत व्यक्ति की पहचान दर्ज करने में भी मदद करेगा। इसके अलावा, यह मृत व्यक्ति की पहचान कई दस्तावेजों की मदद से साबित करने की आवश्यकता को खत्म कर देगा।’
आरजीआई ने संबधित विभागों को संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पंजीकरण प्राधिकरणों द्वारा इसका अनुपालन सुनिश्चित करने और 1 सितंबर, 2017 से पहले इसकी पुष्टि करने का निर्देश दिया है। जम्मू-कश्मीर, असम और मेघालय को छोड़कर सभी राज्यों के निवासियों के लिए यह नियम 1 अक्टूबर से लागू होंगे। जम्मू-कश्मीर, असम और मेघालय के लिए अलग से एक तारीख अधिसूचित की जाएगी।