सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति इरानी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के 75 साल पूरे होने के मौके पर संसद में दिए गए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के भाषण की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में सोनिया के भाषण की तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से करते हुए लिखा है कि सोनिया ने जहां अपने भाषण में सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार का गुणगान किया, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की बात की, आजादी के संघर्ष को याद किया और महात्मा गांधी के योगदान का जिक्र किया।
‘नेतृत्व के परीक्षण में फेल सोनिया’
उन्होंने अपने भाषण का केंद्र नेहरू-गांधी परिवार तक सीमित रखने के लिए सोनिया की आलोचना की। उन्होंने लिखा है, ‘कुछ ऐसे मौके होते हैं जब लोग अपने नेता से सभी पक्षपातों से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने की उम्मीद करते हैं…लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नेतृत्व की इस परीक्षा में विफल रहीं, जब उन्होंने संसद में अपने लंबे, दयनीय भाषण को नेहरू परिवार के हाथ से सत्ता जाने का दुख मनाने तक सीमित कर दिया।’ उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए लिखा है कि पीएम महात्मा गांधी के ‘करेंगे या मरेंगे’ के नारे से सीखते हुए एक नया नारा दिया है- ‘करेंगे और करते रहेंगे’।
‘सोनिया को नहीं याद पटेल-बोस का योगदान’
उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के लिए सिर्फ पंडित जवाहरलाल नेहरू को याद करने पर भी सोनिया की आलोचना की। उन्होंने लिखा है कि एक ओर जहां प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल और सुभाष चंद्र बोस जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को याद किया, वहीं सोनिया ने दोनों का नाम छोड़ केवल पंडित नेहरू की महानता का बखान किया, जिनके परिवार से वह आती हैं। उन्होंने लिखा है, ‘सोनिया गांधी ने 1942 के आंदोलन का श्रेय केवल कांग्रेस को देकर उन लाखों लोगों के योगदान का अपमान किया है जो महात्मा गांधी के आह्वान पर उनके पीछे खड़े हुए थे।’
‘पीएम के भाषण की जमकर तारीफ की’
वहीं, केंद्रीय मंत्री ईरानी ने अपने इस पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की. उन्होंने पीएम मोदी के भाषण का जिक्र करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री ने इस आंदोलन में महात्मा गांधी द्वारा ली गई करेंगे या मरेंगे (do or die) की शपथ को अपनाने के लिए कहा.’ इसके साथ ईरानी ने कहा कि पीएम ने न सिर्फ सरदार वल्लभ भाई पटेल और सुभाष चंद्र बोस जैसे स्वतंत्रा सैनानियों के योगदान की बात की, बल्कि इस आंदोलन में महिलाओं की अहम भूमिका का भी उल्लेख किया.
स्मृति ईरानी ने कहा कि जहां पीएम के अभिभाषण में प्रगतिशीलता थी, वहीं सोनिया गांधी ने अपनी वही पुरानी उत्साहीन बातों को दौहराया. केंद्रीय मंत्री का कहना था कि सानिया गांधी का भाषण किसी इलेक्शन कैंपेन की तरह था और उससे सदन का माहौल दूषित हो गया.आपको बता दें कि इस विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए सोनिया ने कहा था, ‘ऐसा लगता है कि देश पर संकीर्ण मानसिकता वाली, विभाजनकारी और सांप्रदायिक सोच वाली शक्तियां हावी हो रही हैं. सेक्यूलर और उदारवादी मूल्यों के लिए खतरा पैदा हो गया है. कई बार कानून के राज पर गैर कानूनी शक्तियां हावी होती हैं.’