गुरुवार को संसद में एक सवाल के जवाब में विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर ने बताया कि कई देशों में कड़े प्रिवेसी कानूनों की वजह से लोकल अथॉरिटी कैदियों से जुड़ी सूचनाएं तब तक शेयर नहीं करती हैं, जब तक कि वह व्यक्ति इसकी अनुमति ना दे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक विभिन्न देशों की 86 जेलों में 7,620 कैदी बंद हैं, जिसमें कम से कम 50 महिलाएं हैं। इनमें से ज्यादातर महिलाएं दक्षिण-पूर्वी एशिया, श्री लंका, चीन, नेपाल और खाड़ी देशों की जेलों में बंद हैं।
विदेशी जेलों में बंद भारतीयों में से कुल 56 पर्सेंट लोग खाड़ी देशों में हैं। जिसमें सबसे ज्यादा 2,084 लोग सऊदी अरब की जेलों में बंद हैं, इन पर घूस, चोरी और हेराफेरी के आरोप हैं। इसके अलावा कुछ तो सिर्फ शराब पीने के कारण जेल में हैं क्योंकि सऊदी अरब में शराब पीना, बेचना या बनाना कानूनी अपराध है। वहीं दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों जैसे थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर में ज्यादातर भारतीय नागरिक ड्रग्स और मानव तस्करी और वीजा संबंधी मामलों में कैद हैं।
भारत के दक्षिण में मछुआरे भी समुद्री सीमा पार करने के कारण श्री लंका की जेलों में बंद हैं। इसके अलावा तमिलनाडु के कैदी बांग्लादेश, भूटान और ब्रूनेई की जेलों में भी पाए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में 115 कैदियों में से ज्यादातर पर हत्या, मनी लॉन्ड्रिंग और रोड एक्सिडेंट जैसे मामले हैं। यूरोपियन देश अपने यहां कैद भारतीयों का जानकारी शेयर नहीं करते हैं।
एम जे अकबर ने बताया कि 2004 में कैदियों को उनके देश भेजने संबंधी कानून के बनने के बाद लगभग 170 आवेदन आए हैं, जिसमें से 62 भारतीयों को देश लाया गया है। अब तक भारत ने 30 देशों के साथ संधि की है, जिसके तहत कई भारतीयों को वापस लाया गया है।