क्या चीन दुनिया को भरमाने के लिए ‘थ्री वॉरफेयर’ की रणनीति भारत के साथ अपना रहा है? डोकलाम विवाद पर भारतीय रणनीति में शामिल लोगों का मानना है पेइचिंग ने डोकलाम विवाद में अपनी इस अवधारणा को पूरी तरह लागू कर दिया है। थ्री वॉरफेयर में पब्लिक ऑपिनियन/मीडिया, साइकलॉजिकल वॉरफेयर और लीगल वॉरफेयर शामिल है। साउथ चाइना सी और अन्य मामलों में चीन ने थ्री वॉरफेयर का ही इस्तेमाल किया था। अब इसी विचार को भारतीय परिप्रेक्ष्य में भी अपनाया जा रहा है।
हालांकि चीन का थ्री वॉरफेयर पूरी तरह से स्थापित नहीं है, लेकिन सूत्रों के अनुसार 2003 में चीन मिलिटरी कमिशन (CMC) ने थ्री वॉरफेयर के सिद्धांत को मंजूरी दी थी। 2016 में साउथ चाइना सी पर UNCLOS ट्राइब्यूनल द्वारा चीनी दावे को खारिज करने के बाद पेइचिंग ने थ्री वॉरफेयर का इस्तेमाल किया था। इस तथ्य के बावजूद कि फिलीपींस ने अपने से कहीं ज्यादा ताकतवर पड़ोसी के खिलाफ बड़ी जंग जीत ली है, चीन ने यहां अपना थ्री वॉरफेयर सिद्धांत लागू किया और सफलतापूर्वक फिलीपींस के राष्ट्रपति को अपने पक्ष में कर लिया। एक साल बाद ही चीन इस मसले पर विजेता बनकर उभरा। किसी ने भी UNCLOS के फैसले का जिक्र तक नहीं किया और फिलीपींस चीन की शक्ति के सामने नतमस्तक हो गया।
डोकलाम के मसले पर चीन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पब्लिक ऑपिनियन को अपने पक्ष में प्रभावित करने के लिए इन्हीं नीतियों का इस्तेमाल कर रहा है। चीन की सरकारी मीडिया, विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और यहां तक कि विदेश मंत्री वेंग यी ने भी भारत के खिलाफ ढेर सारी बयानबाजी, प्रेस ब्रीफिंग कीं।