साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के वरिष्ठ कवि चंद्रकांत देवताले का मंगलवार देर रात निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। उनका जन्म मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के जौल खेड़ा गाँव में सात नवंबर 1936 को हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा इंदौर से हुई जबकि पीएचडी सागर यूनिवर्सिटी से की। वह साठोत्तरी हिंदी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर थे और 1960 के दशक में अकविता आंदोलन के साथ उभरे थे। उस समय उनका कविता संग्रह लकड़बग्घा हंस रहा है काफी चर्चित हुआ था।
हिंदी में एमए करने के बाद उन्होंने मुक्तिबोध पर पीएचडी की थी। उन्होंने इंदौर में एक कॉलेज से शिक्षक के रूप में अपनी सेवा भी दी। कॉलेज से सेवानिवृत्त होने के बाद से वह स्वतंत्र लेखन कर रहे थे। उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान के अलावा मध्य प्रदेश शिखर सम्मान व मैथिली शरण गुप्त सम्मान भी मिला था। उनकी चर्चित कृतियों में रोशनी के मैदान के उस तरफ, पत्थर फेंक रहा हूं और हड्डियों में छिपे ज्वार आदि प्रमुख हैं।