अन्नपूर्णा क्षेत्र में बाबू घनश्यामदास नगर के मैदान में महिला कुत्ते को घुमाते हुए पहुंची। कुत्ता बार बार कचरे के ढेर की तरफ देखकर भौंक रहा था। सूंघते हुए पहुंचा तो महिला को कचरे के ढेर के नीचे दबा नवजात शिशु मिला। शिशु की हालत देख लोग दंग रह गए। तुरंत पुलिस की मदद से शिशु को अस्पताल में भर्ती करवाया।मानवता को शर्मसार करता यह वाकया रविवार को देखा गया। कुत्ते के कारण शिशु की जान बच सकी।
शिशु को जन्म के तुरंत बाद कोई कचरे के ढ़ेर में छोड़कर भाग गया। लक्ष्मी नामक महिला ने शिशु को सबसे पहले देखा। शिशु को पहले प्लास्टिक की थैली में पैक किया था। इसके ऊपर चादर में लपेट दिया गया था। सांस लेने के लिए भी कोई स्थान नहीं था।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पता नहीं कैसे वह इतनी बदबू, गंदगी और गर्मी में जिंदा रहा गया। शिशु के शरीर पर भी चोट के भी कई निशान थे। ऐसा लग रहा था कि उसे दूर से छोड़कर कोई भाग गया । शरीर भी नीला पड़ गया था। पहले प्रायवेट अस्पताल में उसे भर्ती करवाया गया उसके बाद चाइल्ड लाइन ने एमवायएच की नर्सरी केयर में भर्ती करवाया। डॉक्टरों के मुताबिक शिशु का जन्म शनिवार रात 12 से सुबह 5 बजे के बीच हुआ है। शिशु का वजन 1 किलो 50 ग्राम है वहीं प्री मेच्योर भी लग रहा है। अगर शिशु थोड़ी देर और पन्नाी में लपेटा रहता तो वह दम तोड़ देता।
सालभर में छ: शिशुओं को सड़क पर फेंका
विडंबना है कि मासूमों के साथ जन्म होते ही अत्याचार के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कभी कचरे के ढ़ेर में कभी सड़क पर तो कभी अस्पताल में शिशुओं को छोड़कर परिवार भाग जाता है। सालभर में इस तरह के छ: शिशुओं को बचाया गया। जबकि सीधे अस्पताल पहुंचने वाले शिशुओं की संख्या और भी कहीं ज्यादा है। जानकारों के मुताबिक ज्यादातर मामलों में नाजायज संबंधों में शिशु के जन्म होते है। परिवार ऐसे बच्चों को पालने की बजाय उनसे छुटकारा पाने की कोशिश में लगे रहते हैं।