मूसलाधार बारिश झेलने के बाद मुंबई वापस खड़ी हो गई है, लेकिन आफत की बारिश अपने पीछे कई खौफनाक कहानियां छोड़ गई है। मंगलवार को सैकड़ों लोग जहां घर नहीं पहुंच सके, वहीं कई लापता हो गए। लापता लोगों के परिजन अपने लापता अपनों की सलामती की दुआएं मांग रहे हैं। इस आफत की बारिश में किसी की कार में ही मौत हो गई तो कोई लापता हो गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बारिश की वजह से अब तक 5 लोगों की मौत की खबर है, 7 लोग लापता हैं जबकि मंगलवार से 11 लोग लापता हैं।
मूसलाधार बारिश की वजह से मरने वालों में एक नाम 29 वर्षीय वकील प्रियम मैंथिया का है। प्रियम अपनी कार के अंदर बेहोश पाए गए। बुधवार को किंग सर्कल के पास जब पानी उतरना शुरू हुआ तो कार के अंदर उनका बेसुध शरीर मिला। इस तरह से प्रियम की मौत 2005 की भीषण बारिश याद दिलाती है, जब कार के अंदर घुटन के चलते 16 लोगों की मौत हो गई थी। प्रियम चार्टर्ड अकाउटेंट रमेश मैंथिया के इकलौते बेटे थे। जब प्रियम के दोस्त उनके शव को अपार्टमेंट के 9वें फ्लोर तक ले आए तो पिता रमेश पूरी तरह से टूट गए। उनके पारिवारिक मित्र ने कहा, ‘रमेशभाई और उनकी पत्नी अपने बेटे की मौत की खबर सुनकर गहरे सदमे में हैं। प्रियम को बीकेसी में जॉब इंटरव्यू के लिए जाना था, लेकिन उसकी मौत बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।’
सायन अस्पताल ने प्रियम का पोस्टमॉर्टम किया लेकिन मौत की कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई। केमिकल ऐनालिसिस के लिए विसरा रिपोर्ट रख ली गई है। पुलिस आशंका जता रही है कि प्रियम की मौत कार में घुटन की वजह से हुई। बताया जा रहा है कि प्रियम बारिश में फंसे अपने किसी दोस्त की मदद के के लिए घर से बाहर निकले थे। वह अपने अपार्टमेंट में रहने वाले ही एक दोस्त को बोलकर गए थे कि थोड़ी देर में लौट रहे हैं। इसके बाद सुबह 8:30 बजे वह अपनी कार में मृत मिले। पुलिस की मदद से उन्हें सायन अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस का कहा है कि प्रियम ने अपनी कार वहां तक चलाई होगी जहां तक वह चला सकते थे और पानी ज्यादा होने की वजह से उनकी कार आगे नहीं बढ़ी होगी और सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम फेल हो गया होगा, जिसकी वजह से हादसा हआ होगा।
इस बीच कई डिजास्टर कंट्रोल एजेंसियों ने मंगलवार शाम 6:45 बजे से लापता हुए नामी डॉक्टर दीपक अमरापुरकर की तलाश शुरू कर दी है। आशंका जताई जा रही है कि 58 वर्षीय डॉ.दीपक सेनापति बापत मार्ग के किसी मैनहोल में गिर गए हैं। मंगलवार शाम 6:30 बजे अपनी पत्नी को कॉल कर उन्होंने कहा था कि 5-7 मिनट में वह घर पहुंच जाएंगे, लेकिन वह घर नहीं पहुंचे। उन्हें आखिरी बार अपने घर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर देखा गया था। डॉक्टर दीपक कार छोड़ खुद पैदल निकल पड़े थे। पढिए, उनकी पूरी कहानी।
मराठी अखबार में काम करने वाली पत्रकार उर्मिला देथे की कहानी भी भयावह रही। रोजाना की तरह मंगलवार को उर्मिला कार्यालय की ओर घर से निकली थी, लेकिन सायन के पास जल-जमाव होने से ट्रेन पानी में ही अटक गई। रफ्तार थम गई। सुबह करीब 12 के बाद से ही लोकल की रफ्तार सेंट्रल लाइन पर दम तोड़ चुकी थी। तेज बारिश और ट्रेन के रुकने से उर्मिला मांटुगा में फंस गईं। गर्भवती होने की वजह से वह सीएसटी जाने वाली लोकल की अपंग कोच में बैठी हुई थीं। इस बात की जानकारी उर्मिला के कुछ करीबी पत्रकारों को थी। वह करीब 11 घंटे तक कोच में कुछ महिलाओं के साथ बैठी हुई थी। पानी कोच में प्रवेश करने की स्थिति में था। फोन की बैट्री खत्म हो चुकी थी। उन्हें रात 11 बजकर 48 मिनट पर रेस्क्यू किया गया। जब उसका वाट्सऐप संदेश एक पत्रकार के जरिए रेलवे पुलिस को मिला, तो जीआरपी ने दमकल विभाग की मदद से उर्मिला तक पहुंचने की कोशिश की और महज 45 मिनट के अंदर उसको रेस्क्यू कर सुरक्षित घर पहुंचाया।