Home राज्य मप्र ब्लू व्हेल गेम डाउनलोड करने में इंदौर से आगे ग्वालियर, भोपाल तीसरे...

ब्लू व्हेल गेम डाउनलोड करने में इंदौर से आगे ग्वालियर, भोपाल तीसरे नंबर पर

0
SHARE

एक ऐसा गेम जो अपने अंतिम टास्क में खिलाड़ी को आत्महत्या के लिए प्रेरित करता है। मध्यप्रदेश में एक बच्चे की मौत के लिए जिम्मेदार इस गेम में रुचि रखने वालों की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली। वह भी तब जब केंद्र सरकार इस गेम पर प्रतिबंध लगा चुकी है। गूगल ट्रेंड्स पर नजर डालें तो मध्यप्रदेश में 1 अगस्त से पहले ब्लू व्हेल गेम सर्च करने वालों की संख्या लगभग न के बराबर थी।

हैरानी की बात तो यह है कि इस गेम में रुचि दिखाने वालों की तादाद इंदौर-भाेपाल के मुकाबले ग्वालियर और जबलपुर में ज्यादा है। गेम में रुचि रखने वाले उज्जैन और सागर में भी कम नहीं हैं। गूगल ने अगस्त माह के 27 दिनों के ट्रेंडस ऑनलाइन शेयर किए हैं। इसमें बताया जा रहा है कि जबलपुर में ब्लू व्हेल का शब्द सबसे अधिक सर्च किया गया। ब्लू व्हेल गेम को ढूंढ़ने और उसे डाउनलोड करने वाले भी सबसे ज्यादा ग्वालियर में हैं।

वहीं भोपाल ब्लू व्हेल के नाम सर्चिंग, गेम को ढूढ़ने और डाउनलोड में तीसरे नंबर पर है। वहीं इंदौर इस क्रम में तीसरे नंबर पर है। 50 दिन तक यह गेम मानसिक रूप से खिलाड़ियों को उत्तेजित करता है और अलग अलग तरह के टास्क देता रहता है, आखिर में आत्महत्या के लिए उकसाया जाता है।

इंटरनेट मिलते ही ब्लू व्हेल तलाशने लगते हैं बच्चे
चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम इन दिनों स्कूलों में जाकर बच्चों को ब्लू व्हेल गेम के खतरों से अवगत करा रही है। इस गेम की तरफ आकर्षित हो रहे बच्चों पर नजर भी रखी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक भेल के एक निजी स्कूल में एक लड़की ब्लू व्हेल गेम खेल रही थी। वह एक बार अपना हाथ भी जला चुकी है। उसने गेम की लिंक भी अपने कई साथियों को भेजी है। ज्यादातर स्कूलों में बच्चे इस गेम की चर्चा कर रहे हैं। इंटरनेट मिलते ही बच्चे ब्लू व्हेल और इससे जुड़ी जानकारियां तलाशने लगते हैं।

बच्चे हो रहे ब्लू व्हेल फोबिया के शिकार
हाल ही में राजधानी के एक निजी स्कूल में ब्लू व्हेल गेम के खतरों को लेकर छात्रों की काउंसलिंग की गई थी। इस दौरान उन्हें बताया गया कि गेम को खेलने वालों को सुबह 4 बजे टास्क मिलता है। इसके बाद गेम खेलने वाला अपने हाथ पैर को ब्लेड या चाकू से काट लेता है। यह सुनने के बाद कक्षा 4 में पढ़ने वाली एक बच्ची डिप्रेशन में चली गई। वह कभी भी देर रात में उठकर जोर से रोने लगती है। बच्ची के पेरेंट्स ने उसे मनोचिकित्सक को दिखाया है।

नेट एडिक्ट बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत
मुंबई की घटना से पहले कई लोग ब्लू व्हेल गेम को जानते तक नहीं थे, लेकिन अचानक इसका ट्रेंड बढ़ा है। सबसे ज्यादा वे बच्चे इसे देख रहे हैं जो नेट एडिक्शन के शिकार हैं। माता-पिता से उनका कोई संवाद नहीं है। कई पेरेंट्स अब इस गेम से बच्चों को कैसे दूर रखें इसकी काउंसलिंग के लिए हमारे पास आ रहे हैं।
रूमा भट्टाचार्य, मनोवैज्ञानिक

इसे खेलने वालों का इंटरव्यू होता है
ब्लू व्हेल गेम प्ले स्टोर से हटाया जा चुका है। इसे खेलने वालों का इंटरव्यू होता है। उसके बाद ही यूजर आईडी और पासवर्ड जनरेट होता है। आपका बच्चा यह गेम खेल रहा है या नहीं? यह जानना आसान है। वह 50 दिन लगातार सुबह 4.15 पर उठ जाए। रोज कोई न कोई शरीर में चोट का निशान बनाए। यह पेरेंट्स को पता न चले यह संभव नहीं।
शैलेंद्र सिंह चौहान, एसपी, साइबर क्राइम

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here