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ब्लू व्हेल का टास्क पूरा करने के लिए स्टूडेंट ने ट्रेन से कटकर दी जान

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यहां 11वीं के एक स्टूडेंट सात्विक पांडे ने शनिवार रात ‘सुसाइड गेम’ ब्लू व्हेल चैलेंज खेलते हुए खुदकुशी कर ली। आखिरी टास्क पूरा करने के लिए वह ट्रेन के सामने घुटने टेककर बैठ गया। उसका शव क्षत-विक्षत हो गया। उसके दोस्त रितिक का कहना है कि सात्विक ने पांच दिन पहले ब्लू व्हेल गेम खेलने की बात बताई थी। प्रदेश में सुसाइड गेम से यह पहली मौत है। मोबाइल फोन लॉक मिला…

सात्विक की जहां मौत हुई वहां से कुछ दूरी पर लगे सीसीटीवी कैमरे में कुछ फुटेज मिले। इनमें सात्विक फुटेरा फाटक के डाउन ट्रैक पर सीमेंट के खंभे के पास बैठा हुआ है। जैसे ही ट्रेन आती है, वह घुटने टेककर उसके आगे बैठ जाता है। सुबह पुलिस मौके पर पहुंचती है तो उसका शव बुरी तरह क्षत-विक्षत मिलता है। सात्विक साइंस का छात्र था। उसके पिता संजय पांडे जनपद पंचायत दमोह में पदस्थ हैं। एसपी विवेक अग्रवाल ने बताया कि सात्विक का मोबाइल फोन लॉक है। जांच में डाटा सामने आ जाएगा।

दोस्तों से कहा था- पता करना है कि लोगों को कैसे मारता है
सात्विक के दोस्त नवनीश चौकसे ने बताया कि 15 दिन पहले सात्विक ने कहा था ‘गेम सर्च कर रहा हूं, मिल नहीं रहा है। पता करना है, वह लोगों को कैसे मारता है।’ मैंने पूछा- तुम्हें तो नहीं खेलना है यह गेम। उसने जवाब टाल दिया।

पिता ने पूछा था- ‘यह कौन सा गेम है’
टीआई प्रदीप सोनी ने बताया कि फोन जब्त करने उसके घर पर गया था। पता चला कि कुछ दिन पहले अखबार में ब्लू व्हेल गेम की खबर देखकर पिता से सात्विक ने पूछा था कि यह कैसा गेम है। सात्विक की छोटी बहन ने बताया था कि यह विदेश में खेला जाता है।

7 दिन का गूगल ट्रेंड: 27 शहरों में सर्च किया गया, छतरपुर में सबसे ज्यादा
– ब्लू व्हेल गेम 7 दिन में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर जैसे बड़े शहरों के साथ ही छतरपुर, शहडोल, होशंगाबाद, समेत मध्य प्रदेश के 27 शहरों में सर्च किया गया। यह ट्रेंड 27 अगस्त से लेकर 3 सितंबर तक का है। इस दौरान यह गेम सबसे ज्यादा छतरपुर में तलाशा गया, होशंगाबाद दूसरे नंबर पर रहा।

देश में 7 दिन में चौथी मौत
1 सितंबर: गुजरात में 20 साल के अशोक मुलाणा ने नदी में छलांग लगाकर जान दी।
31 अगस्त: पुड्डुचेरी में एमबीए फर्स्ट ईयर के छात्र शशिकुमार ने फांसी लगाई।
30 अगस्त: तमिलनाडु के मदुरै में बी.कॉम के छात्र 19 साल के विग्नेश ने फांसी लगाई।

ब्लू व्हेल गेम नहीं एक ट्रैप
टीन एजर्स गेम मानकर ब्लू व्हेल के जाल में फंस रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर ब्लू व्हेल ऐप तलाशे जा रहे हैं, लेकिन असल में यह न तो गेम है और न ही ऐप है। यह अपराधी किस्म के लोगों का एक ट्रैप है, जो दुनियाभर में अब तक 130 से ज्यादा लोगों की जान ले चुके हैं। नासमझी में बच्चे इसके आसानी से शिकार बन रहे हैं।

‘ब्लू व्हेल’ के पीछे दिमाग है मास्को (रूस) के फिलिप बुडेईकिन का। उसे गिरफ्तार किया जा चुका है और वह तीन साल की सजा काट रहा है। गेम से पहली मौत का मामला 2015 में आया था। गिरफ्तारी के बाद फिलिप ने कहा था, “गेम का मकसद समाज की सफाई करना है।” फिलिप की नजर में सुसाइड करने वाले सभी लोग ‘बायो वेस्ट’ थे।

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