यूपी में गोरखपुर का बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज एक बार फिर चर्चा में है। यहां 10-11 अगस्त की रात कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी की वजह से 30 से अधिक बच्चों की जान चली गई थी। इससे अस्पताल प्रशासन की काफी फजीहत हुई थी। अब अस्पताल प्रशासन ने अगस्त में हुई बच्चों की मौत को लेकर पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े जारी किए हैं।
इसमें कहा गया है कि अगस्त में इलाज के दौरान सिर्फ 325 बच्चों की जान गई है। इतने सारे बच्चों की मौत के बाद भी अस्पताल की दलील है कि इस साल अगस्त में बच्चों की मौत का आंकड़ा पिछले तीन वर्षों के मुकाबले कम है।
हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से साझा किए गए आंकड़ों के आधार पर अस्पताल का कहना है कि पिछले तीन साल के मुकाबले NICU और PICU वार्ड्स में बच्चों (0-14 साल) की मौत कम हुई है। अगस्त 2014 में अस्पताल के NICU और PICU वार्ड्स में 567 बच्चों की जान गई थी। वहीं अगस्त 2015 में 668 और अगस्त 2016 में 587 बच्चों ने दम तोड़ा। अगस्त 2017 में यह आंकड़ा 325 रहा।
इन आंकड़ों पर गौर करे तो बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 2017 में जनवरी से अगस्त के बीच केवल 1285 बच्चों की मौत हुई। 2014 में यह 3828, 2015 में 4601, 2016 में 3758 और 2017 में यह 1285 था। साथ ही अगस्त में औसतन हर रोज केवल 10 बच्चों की जान गई। यह आंकड़ा 2014 में 19, 2015 में 21 और 2016 में 19 था।
अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक, दिमागी बुखार यानी जापानी इंसेफलाइटिस (JE) और एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) भी इन बच्चों की मौत की बड़ी वजह रही। JE और AES के कारण 2014 में 616, 2015 में 442 और 2016 में 514 बच्चों की जान गई। 2017 में यह आंकड़ा अब तक 189 रहा है।
इंसेफलाइटिस एरेडिकेशन मूवमेंट के चीफ कैंपेनर डॉ. आरएन सिंह ने इन बीमारियों से निजात पाने के लिए लगभग 30 वर्षों से रिसर्च कर रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों में इंसेफलाइटिस टीका लगाने को लेकर जागरुकता आई है। बीआरडी में बच्चों की मौत कम होने की वजह यह हो सकती है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है।