पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अगुआई में भारत और चीन के बीच मंगलवार सुबह द्विपक्षीय बातचीत हुई। दोनों देशों ने रिश्तों को बेहतर बनाने की दिशा में सीमाई इलाकों में शांति स्थापित करने पर चर्चा की। डोकलाम और लद्दाख में हाल ही में चीन और भारत की सेनाओं के बीच हुए टकराव के मद्देनजर यह बातचीत बेहद अहम मानी जा रही है।
बातचीत के बाद विदेश सचिव एस जयशंकर ने पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दि्वपक्षीय बातचीत में आतंकवाद के मुद्दे पर अलग से चर्चा नहीं हुई। कहा कि ‘हाल-फिलहाल की घटनाओं के मद्देनजर दोनों देश सेनाओं में आपसी तालमेल बेहतर करने पर राजी हुए। दोनों पक्षों ने माना कि रिश्तों की बेहतरी के लिए सीमाओं पर शांति जरूरी है। जब यह पूछा गया कि क्या डोकलाम पर अलग से बात हुई तो जयशंकर ने कहा कि यह मीटिंग भविष्य की तरफ देखते हुए की गई है। जयशंकर ने सीधे-सीधे यह नहीं बताया कि डोकलाम पर कोई बात हुई कि नहीं। पूछने पर यही कहा कि सभी जानते हैं कि हाल में क्या हुआ। साथ ही दोहराया कि सीमा के इलाकों में शांति सुनिश्चित करने पर चर्चा हुई।
विदेश सचिव ने बताया कि बातचीत करीब एक घंटे से ज्यादा चली। इसके पहले हिस्से में ब्रिक्स से जुड़े मुद्दों पर बातचीत हुई। गोवा में हुए ब्रिक्स समिट के दौरान चीन ने काफी मदद की थी। इसलिए भारत ने भी यहां हुए सम्मेलन की कामयाबी के लिए पूरा सहयोग दिया। जयशंकर ने बताया कि मीटिंग के दूसरे हिस्से में बॉर्डर इलाकों में शांति कायम करने, आपसी भरोसा बढ़ाने, मतभेदों को आपसी सद्भाव से दूर करने, मतभेदों को विवादों में न बदलने देने आदि पर चर्चा हुई। जयशंकर के मुताबिक, बातचीत का जोर इस बात पर रहा कि किस तरह एक मेकेनिजम तैयार करके दोनों देश आगगे बढ़ें। मसूद अजहर पर कोई बात हुई कि नहीं, इस बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव ने बताया कि अलग से तो कोई बात नहीं हुई, लेकिन ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणापत्र से यह साफ है कि सभी देश आतंकवाद की चुनौतियों को लेकर समान स्तर पर कटिबद्धता रखते हैं।
इससे पहले, दि्वपक्षीय बातचीत शुरू होने के बाद चीनी प्रेजिडेंट ने मोदी का स्वागत किया। चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन और भारत प्रमुख पड़ोसी हैं, दोनों दुनिया के बड़े विकासशील और उभरते देश हैं। चिनफिंग ने कहा कि चीन भारत के साथ मिलकर पंचशील के सिद्धांत के तहत काम करने के लिए तैयार है। वहीं, मोदी ने भी चिनफिंग को शुक्रिया कहा। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स को प्रासंगिक बनाने में यह शिखर सम्मेलन बेहद सफल हुआ है। दोनों पक्षों के बीच अनुवादकों के जरिए बातचीत हुई।
डोकलाम विवाद के मद्देनजर इस बातचीत को काफी अहम माना जा रहा था। इससे पहले, मंगलवार को ही मोदी ने ‘डायलॉग ऑफ इमर्जिंग मार्केट्स ऐंड डिवेलपिंग कंट्रीज’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उभरते देशों के बीच सहयोग को महत्वपूर्ण बताया। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे लिए अगला एक दशक बेहद महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। उन्होंने कहा कि हमें अलगे दशक को स्वर्णिम बनाने के प्रयासों में जुटना होगा।
बता दें कि इससे पहले ब्रिक्स घोषणा पत्र में पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का जिक्र कराके भारत ने बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की है। जानकार मानते हैं कि इससे चीन पर अपने नजदीक पाक को आतंकी संगठनों पर ऐक्शन लेने के लिए कहने का दबाव बढ़ेगा। चीन अभी तक जैश ए मोहम्मद चीफ मसूद अजहर पर यूएन बैन से जुड़ी भारत की कोशिशों में अड़ंगा लगाता रहा है। चीन यह कहता रहा है कि इस बैन के लिए भारत के पास पर्याप्त सबूत नहीं हैं।