दस दिनों तक घरों में भगवान गणेश की मूर्तियों का पूजन-अर्चन करने के बाद विसर्जित की गई भगवान की मूर्तियां अब बेहाल हैं। नगर निगम ने शहर में पांच कुंड रख संग्रहीत मूर्तियों के ससम्मान विसर्जन की बात कही थी, लेकिन यह वादा पूरा नहीं हो सका। शहरवासियों ने बड़ी आस्था के साथ जिन मूर्तियों को विसर्जित किया था उनका निगम ने कितना ख्याल रखा यह जानने की कोशिश की नईदुनिया ने। इस दौरान गुस्र्वार को कालूखेड़ी तालाब पर जो नजारा सामने आया वह लोगों की आस्था का मजाक बनाता दिख रहा था।
गणेश विसर्जन के तीसरे दिन गुरुवार को नईदुनिया की टीम कालूखेड़ी तालाब पहुंची। दोपहर के करीब एक बजे थे, कालूखेड़ी तालाब की पाल पर बने एक टेंट में कुछ लोग बैठकर बातें कर रहे थे। बाहर से सबकुछ सामान्य लग रहा था। लेकिन जैसे ही टीम ने तालाब के अंदर देखा तो नजारा कुछ ओर ही था।
यहां जगह-जगह गणेशजी की मूर्तियां रखी हुई थीं। समझ नहीं आया कि जब मूर्तियों को विसर्जित किया गया था तो वह बाहर कैसे रखी हुई है। यह जानने के लिए जब टीम तालाब में उतरी तो सारा माजरा साफ हो गया। यहां कुछ लोग परिवार सहित पानी में से ढूंढ-ढूंढ कर अच्छी मूर्तियां बाहर निकाल रहे थे और बाकी लोग उन्हें सुरक्षित तरीके से ले जाकर सुखा रहे थे।
यह सबकुछ जैसे ही टीम ने अपने कैमरे में कैद करना शुरू किया टेंट में बैठे लोग वहां आ गए और पानी में उतरे लोगों को बाहर निकलने के लिए कहा। साथ तालाब में यहां वहां रखी मूर्तियाें को उठाकर फिर से पानी में फेंकना शुरू कर दिया। इसी बीच पानी में उतरे कुछ लोग अपनी साइकल रिक्शा लेकर भाग निकले। टीम ने मूर्तियों को पानी में फेंक रहे लोगों से बात करना चाही तो वे कुछ नहीं बोले और एक-एक कर सभी छोटी-बड़ी मूर्तियां पानी में फेंकते रहे।
तो वापस बाजार में आ जाती मूर्तियां!
इसी बीच साइकल रिक्शा लेकर वापस जा रहे लोगों को नईदुनिया टीम ने रोड पर रोका और पूछताछ की तो पता चला कि वे प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बनाते हैं, यहां मूर्तियां देखने आए थे। लेकिन एक छोटे बालक के मुंह से निकल गया कि यहां अच्छी मूर्ति लेने आए थे। उनकी रिक्शा में कुछ छोटी मूर्ति व उनके अवशेष भी रखे थे। इससे जाहिर होता है कि प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी मूर्तियां अगले साल वापस बाजार में बिकने आ जाती।