भागलपुर के कहलगांव में बटेश्वर स्थान गंगा नहर सिंचाई परियोजना की बांध टूटने के मामले में बिहार सरकार ने अपनी गलती मान ली है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आज इस परियोजना का उद्घाटन करना था, लेकिन इस 24 घंटे पहले ही ट्रायल के दौरान नहर का बांध टूट गया. इससे इस पूरे इलाके में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई.
जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार, जो खुद भागलपुर पहुंचकर इस पूरे घटना की जांच कर रहे हैं, उन्होंने बताया कि 40 साल से लंबित इस परियोजना में पहले से कई खामियां थी. अरुण कुमार ने बताया कि पूर्व में ट्रायल के दौरान जब भी नहर में पानी छोड़ा गया था हर बार बांध में लीकेज की समस्या देखने को मिली थी, मगर इसके बावजूद भी अभियंताओं ने इसकी अनदेखी की. इसका नतीजा यह हुआ कि मंगलवार को दोबारा ट्रायल के दौरान नहर का बांध ध्वस्त हो गया. अरुण कुमार ने कहा कि जिन अभियंताओं ने इस पूरे मामले में लापरवाही की है उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी.
वहीं दूसरी तरफ आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी बिहार सरकार पर बांध के टूटने को लेकर हमला बोला. नीतीश कुमार सरकार पर तंज कसते हुए लालू ने कहा कि कुछ दिन पहले जब बिहार में बाढ़ आई थी तो सरकार ने उस वक्त राज्य में कई बांध टूटने की वजह चूहों को बताया था और अब जो कहल गांव में नहर का बांध टूट गया है तो क्या उसकी वजह मगरमच्छ है ? लालू ने कहा की नीतीश कुमार सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है. इसकी वजह से कहल गांव सिंचाई परियोजना में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया था.
हालांकि, जनता दल यूनाइटेड ने नहर का बांध टूटने की वजह आरजेडी को बताया. जदयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि कहलगांव सिंचाई परियोजना के निर्माण का कार्य 1995 में ही समाप्त हो गया था जिस वक्त लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे और उन्हीं के कार्यकाल के दौरान घटिया स्तर का यह नहर बना था. 112 किलोमीटर लंबे और सिंचाई परियोजना पर कब तक 390 करोड़ की लागत आ चुकी है. नहर का बांध टूटने की वजह से ना केवल करोड़ों रुपए खर्च होंगे बल्कि इसका उद्घाटन कार्य भी कई महीनों तक के लिए टल गया है.