हवस की शिकार एक किशोरी की रोंगटे खड़े कर देने वाली दास्तान सामने आई है। इस किशोरी के मेडिकल परीक्षण के लिए डाक्टरों को उन्हीं की मंजूरी चाहिए थी, जिन्होंने इसके साथ ज्यादती की थी। दरअसल इस किशोरी के चाचा और उसके लड़के पर ही उसके साथ ज्यादती करने का आरोप है। और मेडिकल परीक्षण के लिए अभिभावकों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं। किशोरी के मां-बाप की मौत हो चुकी है और उसके चाचा ही उसके अभिभावक हैं जो इस मामले में आरोपी और फरार हैं।
लिहाजा उसके हस्ताक्षर नहीं होने से किशोरी दिन भर जिला अस्पताल में भटकती रही और उसका मेडिकल परीक्षण नहीं हो सका। मेडिकल प्रमाणपत्र न मिलने पुलिस भी अपनी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ा सकी।
किशोरी विदिशा की रहने वाली है। वह अपने माता-पिता के निधन के बाद भोपाल में चाचा के यहां रहने के लिए चली गई। वहां पर उसके साथ चाचा और उसके लड़के ने ही ज्यादती की। जिसके बाद वह भागकर मंगलवार को विदिशा आ गई। वह सीधी कोतवाली थाने पहुंची जहां वह मामला दर्ज कराने के लिए दिनभर परेशान होती रही।
पुलिस ने भी उसे चाइल्ड लाइन के हवाले कर दिया। गुरुवार को कोतवाली पुलिस और चाइल्ड लाइन के कर्मचारी किशोरी का मेडिकल कराने के लिए दिनभर परेशान होते रहे। जिला अस्पताल के डाक्टरों ने यह कहकर मेडिकल करने से इनकार कर दिया कि मेडिकल फार्म पर या तो माता-पिता या फिर किसी रिश्तेदार के हस्ताक्षर चाहिए। इनके बिना मेडिकल नहीं होगा। लेकिन किशोरी के जीवित बचे रिश्तेदार खुद आरोपी बन गए हैं। इस स्थिति में फार्म पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए।