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डोकलाम में चीन की सक्रियता बढ़ने पर यूं करीब आए भारत-अमेरिका

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नई दिल्ली

डोकलाम में चीनी सैनिकों की एक बार फिर से तैनाती होने और सक्रियता बढ़ने के मद्देनजर भारत और अमेरिका अपने रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने में जुटे हैं। डोकलाम में चीनी सेना की ओर से सड़क के निर्माण और भूटान की सीमा में अतिक्रमण को देखते हुए दोनों देश रणनीतिक संबंधों को बढ़ा रहे हैं। बीते दिनों चीन और भारत के सैनिकों के बीच डोकलाम में गतिरोध के दौरान ट्रंप प्रशासन ने भारत का खुलकर समर्थन किया था। इसी महीने होने वाली चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक से पहले एक बार फिर से डोकलाम में पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने अपनी सक्रियता तैनाती बढ़ा दी है।

भारत में अमेरिकी राजदूत मैरीके एल कार्लसन ने भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर की यात्रा के तुरंत बाद थिम्पू की यात्रा की थी। इस यात्रा के दौरान कार्लसन ने पीएम थेरिंग तोबगे से मौजूदा परिस्थितियों को लेकर बात की। बता दें कि भूटान में अमेरिका का कोई राजनयिक मिशन नहीं है और भारत स्थित दूतावास से ही वहां के मामले को वह देखता है। भारत के लिए चीन के इस आक्रामक रुख से निपटना चुनौती है, इस बीच क्षेत्र के हालातों पर अमेरिका ने अपनी पैनी नजर बना रखी है। अमेरिकी विदेशी नीति के एक्सपर्ट ने कहा कि अमेरिका पेइचिंग के उभार पर लगाम कसने के लिए संतुलन की नीति पर काम कर रहा है।

डोकलाम में चीन और भारत की सेनाओं के बीच तनाव के दौरान 15 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति ने पीएम नरेंद्र मोदी को फोन किया था। इस दौरान ट्रंप ने पीएम मोदी को आजादी की 70वीं वर्षगांठ की बधाई देने के अलावा क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए चीन से अपने विवाद निपटाने की सलाह दी थी। भूटान के दावे वाले क्षेत्र में पीएलए के सैनिकों की तीन बार घुसपैठ के बाद भारतीय विदेश सचिव और अमेरिका राजदूत की थिम्पू यात्रा से कई संदेश मिलते हैं।

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