भोपाल
मध्यप्रदेश की सड़कों को अमेरिका से बेहतर बताने को लेकर सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दूसरे दिन भी आलोचना होती रही। प्रदेश में मैदानी हकीकत यह है कि सरकार ने सड़कों की मरम्मत, नई सड़कें बनाने और उनके उन्नायन के लिए नौ हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने की योजना बनाई है। दस फीसदी सड़कें आज भी बदहाली में हैं।
मध्यप्रदेश लोक निर्माण विभाग ने प्रदेश की जर्जर सड़कों के कायाकल्प के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) से 6 हजार करोड़ और न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) से 3 हजार करोड़ रुपए का कर्ज उठाने का प्रस्ताव भेजा है। लोनिवि ने इस नए कर्ज से सड़क बनाने की पूरी योजना भी तैयार कर ली है। एनडीबी से मिलने वाले कर्ज से करीब तीन हजार किलोमीटर सड़कें बनाने की तैयारी है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार इसके पहले भी सड़कों के लिए करीब दस हजार करोड़ रुपए से अधिक राशि का कर्ज उठा चुकी है। यह कर्ज मिलने के बाद केवल सड़कों की सेहत सुधारने के लिए मप्र पर 20 हजार करोड़ का कर्ज हो जाएगा। वैसे अधिकृत तौर पर प्रदेश की कुल सड़कों (1 लाख 32 हजार किमी) में से दस फीसदी सड़कों की हालत जर्जर बनी हुई है।
डेमेज कंट्रोल में जुटे मंत्री
सड़क के मुद्दे पर मुख्यमंत्री के बयान को लेकर सियासत तेज हो गई है। गुरुवार को प्रदेश के मंत्रीगण भी डेमेज कंट्रोल और बचाव में जुट गए। नगरीय विकास मंत्री माया सिंह ने कहा कि मप्र में सड़कों को लेकर बहुत काम हुए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं। वहीं, कांग्रेस विधायक डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि मंत्रियों की हिम्मत नहीं कि सीएम की बात काट सकें। कुर्सी बचाने के लिए मंत्रीगण चापलूसी करने में लगे हैं। मेरी चुनौती है कि मेरे साथ चलकर भोपाल की सड़कें देखें।
यादव का बयान पप्पूगिरी की पराकाष्ठा
मुख्यमंत्री के बयान पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव की प्रतिक्रिया पप्पूगिरी की पराकाष्ठा है। दिग्विजय कार्यकाल के दौरान सड़कों की याद होती तो उन्हें यह स्वीकारने में संकोच नहीं होता कि मप्र की सड़कें विश्वस्तरीय हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश की नई सड़कें विश्वस्तरीय हैं।
– भूपेन्द्र सिंह, गृहमंत्री मप्र शासन
प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं
प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं। पिछले एक दशक के दौरान प्रदेश की सड़कों का कायाकल्प हुआ है। उज्जैन की सड़कें, इंदौर का सुपर कॉरिडोर, क्षिप्रा ब्रिज सहित कई सड़कें इसके जीवंत उदाहरण हैं।
– पारस जैन, ऊर्जा मंत्री मप्र शासन
अमेरिका तक पहुंचने में लगेंगे 10 साल
सभी जानते हैं कि 15 साल पहले सड़कों के मुद्दे पर हम ‘जीरो” थे। आज हम 50 फीसदी समस्या हल कर चुके हैं। हमारे यहां विश्वस्तरीय सड़कें बनने लगी हैं। इन्हें देखकर ही सीएम ने यह बात कही होगी। अमेरिका तक पहुंचने में 5 से 10 साल लगेंगे।
– सरताज सिंह, विधायक एवं पूर्व लोनिवि मंत्री