जबलपुर
सीबीआई की विशेष न्यायाधीश माया विश्वलाल की अदालत ने अपने एक आदेश में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा-‘वर्तमान समय में भ्रष्टाचार समाज में कैंसर की तरह बढ़ रहा है, जो कि राष्ट्र के आर्थिक ताने-बाने को पूरी तरह नष्ट कर रहा है, जिसे दृष्टिगत रखते हुए भ्रष्टाचार के मामले में नरम रुख अपनाए जाने का कोई औचित्य नहीं है।
सीबीआई कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ ही रिश्वतखोर बैंक मैनेजर सुशांत त्रिवेदी को 4 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 20 हजार का जुर्माना भी लगा दिया। मुख्यमंत्री आवास योजना से संबंधित 38 हितग्राहियों को बैंक से ऋण स्वीकृत किए जाने के लिए 1000 रुपए प्रतिहितग्राही के हिसाब से 38000 रुपए की रिश्वत लिए जाने के आरोप से संबंधित था।
अभियोजन की ओर से सहायक विशेष लोक अभियोजक प्रतीश जैन ने पक्ष रखा। जबकि अभियुक्त के बचाव में अधिवक्ता अशोक तिवारी खड़े हुए। दलील दी गई कि सुशांत त्रिवेदी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की नयागांव शाखा, नरसिंहपुर में ब्रांच मैनेजर बतौर पदस्थ रहने के दौरान भूपत सिंह लोधी से रिश्वत की मांग की।
मुख्यमंत्री आवास योजना से संबंधित 38 हितग्राहियों को बैंक से ऋण स्वीकृत किए जाने के लिए 1000 रुपए प्रतिहितग्राही के हिसाब से 38000 रुपए की रिश्वत मांगी थी। इसके बाद 15 जून 2013 को 7 हजार और 21 जून 2013 को 31000 रुपए प्राप्त भी कर लिए। जिसकी शिकायत पर सीबीआई ने ट्रेप कर लिया। केस बनाकर अदालत में पेश किया गया। ट्रायल पूरी होने के बाद कोर्ट ने सजा सुना दी।