भोपाल
नोटबंदी और जीएसटी के बाद केन्द्र सरकार के निशाने पर अब बेनामी संपत्ति के मामले भी आ गए हैं। ऐसी संपत्तियों की छानबीन के लिए आयकर विभाग पहली बार सैटेलाइट की मदद भी लेगा। इसके लिए विभाग ने इसरो के साथ करार कर लिया है। इस मुहिम में देश की अन्य जांच एजेंसियों की मदद भी ली जाएगी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) ने यह प्रयोग गुजरात और राजस्थान में कराया, जिसके अच्छे नतीजे निकले। अब मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में भी ‘आसमानी आंख” से बेनामी संपत्तियों की खोजबीन शुरू होगी।
सीबीडीटी ने टैक्स चोरों को दबोचने और देशभर में फैली हजारों करोड़ रुपए की बेनामी संपत्तियों की खोजबीन के लिए आयकर विभाग को पहली बार सैटेलाइट की मदद लेने की हरी-झंडी दी है। गुजरात-राजस्थान में इस तकनीक के प्रयोग से विभाग को उत्साहजनक परिणाम मिल चुके हैं।
मप्र-छग का भूभाग संयुक्त रूप से देश का सबसे बड़ा इलाका है, इसलिए विभाग ने यहां यह तकनीक लागू करने की योजना बनाई है। इसके जरिए मिनटों में ही किसी भी प्रॉपर्टी की सटीक जानकारी सामने आ जाएगी। राजस्व महकमा पहले ही हर जिले का डिजिटल मैप तैयार करा चुका है। आयकर विभाग सैटेलाइट की मदद से जमीन का साफ ‘क्रिस्टल क्लियर” फोटो निकालकर उसका भौतिक सत्यापन करेगा।
ये जांच एजेंसियां करेंगी मदद
आयकर विभाग ने एक बेनामी प्रॉपर्टी यूनिट भी बनाई है, जहां ऐसी सभी संवेदनशील सूचनाएं एकत्र की जा रही हैं। साथ ही एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी), सीबीआई, फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू), डायरेक्टोरेट आफ रिवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) एवं रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) की सेवाएं भी ली जाएंगी। इन एजेंसियों के जरिए विभाग देशभर से भारी भरकम संदिग्ध लेनदेन, हवाला और मुखौटा कंपनियों की गतिविधियों का ब्योरा भी जुटाएगा।
ऐसे होगी छानबीन
किसी भी क्षेत्र की सैटेलाइट इमेज के ‘क्लोज व्यू’ का पहले लोकल नेटवर्क”और भूमि रिकॉर्ड (खसरा नंबर) से मिलान होगा। इसके बाद उस इमेज से संबंधित भूमि के मालिक का नाम-पता लेकर विभागीय अफसर जमीन का भौतिक सत्यापन करेंगे। खसरे में 14 बिन्दुओं की जानकारी रहती है। पंजीयन विभाग से रजिस्ट्री का ब्योरा लेकर भूमि मालिक की आर्थिक स्थिति का आकलन और पिछले 15 साल के रिकॉर्ड की छानबीन होगी। भूमि मालिक की आर्थिक हैसियत का परीक्षण भी होगा। इससे प्रॉपर्टी की असली कहानी सामने आ जाएगी।
निशाने पर राजनेता-ब्यूरोक्रेट्स भी
आयकर विभाग को उसके खुफिया स्रोतों से ऐसी सूचनाएं मिली हैं, जिनमें दोनों राज्यों के हजारों ऐसे छुपे रुस्तम अमीरों (राजनेता, ब्यूरोक्रेट्स और कारोबारी भी) का ब्योरा है। घोषित तौर पर इन्होंने ऐसी संपत्तियों की जानकारी सरकार से छिपा ली है, लेकिन ऐसी संपत्तियों में उन्होंने अपनी करोड़ों की काली कमाई का निवेश कर दिया है। आयकर महकमे ने ऐसे सैकड़ों लोगों को नोटिस भेजकर संदिग्ध प्रॉपर्टी की जानकारी और दस्तावेज तलब कर लिए हैं। मप्र-छग में आधा दर्जन बेनामी संपत्तियों को ‘अटैच” भी किया जा चुका है।
सैटेलाइट की आंख से आयकर विभाग अब यह जानकारी भी हासिल कर सकेगा कि किसी खेती की जमीन पर कब, कौन-सी फसल ली गई। पिछले वर्षों की इमेज भी सुरक्षित मिल जाएगी। इसी तरह अंदरूनी क्षेत्र में किसी प्रॉपर्टी का वास्तविक क्षेत्रफल क्या है, यह भी सैटेलाइट मिनटों में बता देगा।
मसलन कोई व्यक्ति टैक्स में छूट पाने अथवा काली कमाई को नंबर 1 में बदलने का विभाग के सामने दावा करता है कि उसे यह आय खेती से हुई। ऐसी स्थिति में विभाग पिछले वर्षों के दौरान खेत में लगी फसल का फोटो निकाल कर सत्यापन कर लेगा। उल्लेखनीय है कि सैटेलाइट तकनीक के जरिए ही अमेरिका ने पाकिस्तान में मौजूद कुख्यात आतंकी ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के लिए गोपनीय ‘एनकाउंटर” किया था।