शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी द्वारा बोर्ड की तरफ से फर्जी वकील खड़ा किए जाने का दावा करने पर बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमिटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि वसीम रिजवी क्यों नहीं बताते कि कौन फर्जी वकील बोर्ड की तरफ से कोर्ट में था? जफरयाब जिलानी ने कहा कि मैंने तो बीस साल में किसी भी अदालत में शिया वक्फ बोर्ड का कोई वकील नहीं देखा। वसीम रिजवी वकील का नाम बताकर बार काउंसिल से उसकी शिकायत क्यों नहीं करते?
उन्होंने कहा कि जहां तक वसीम रिजवी द्वारा बाबरी मस्जिद से सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा खारिज किए जाने की बात कही गई है, वह पूरी तरह निराधार है। किसी भी अदालत ने बाबरी मस्जिद के सुन्नी वक्फ सम्पत्ति के रूप में हुए पंजीयन को खारिज नहीं किया है। जिलानी ने कहा कि वसीम जिस गजट को खारिज किए जाने की बात बोल रहे हैं, उसे चौहद्दी और जगह का नाम दर्ज ना होने के कारण खारिज किया गया है। उन्होंने कहा कि अदालत ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के मालिकाना हक पर कोई टिप्पणी नहीं थी, इससे साफ है कि बाबरी मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति है और शिया वक्फ बोर्ड का उस पर कोई दावा नहीं बनता।
जो मालिक ही नहीं,वह दावा कैसे छोड़ सकता है?
जफरयाब जिलानी ने सुलह प्रस्ताव पर कहा, ‘जो मालिक ही नहीं है वह दावा कैसे छोड़ सकता है? सुप्रीम कोर्ट में जो मामला चल रहा है वह इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से आए फैसले को चुनौती देने का है। हाई कोर्ट के आदेश में शिया वक्फ बोर्ड कोई पार्टी ही नहीं थी। हाई कोर्ट का फैसला सबके सामने है। उसमें विवादित स्थल का एक-तिहाई हिस्सा निर्मोही अखाड़े को, एक-तिहाई हिस्सा रामलला को और बाकी एक-तिहाई भाग सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अन्य संबंधित मुस्लिम पक्षों को देने की बात थी और उस मुकदमे में शिया वक्फ बोर्ड पक्षकार ही नहीं था।’