केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के चीफ प्रसून जोशी ने सोमवार को कहा कि सेंसर बोर्ड ‘पद्मावती’ पर संतुलित निर्णय लेगा, लेकिन इसके लिए पूरा वक्त मिलना चाहिए। अपने कार्यकाल के दौरान जोशी को संजय लीला भंसाली की इस फिल्म के रूप में पहली बड़ी मुश्किल का सामना करना है। गौरतलब है कि राजपूत संगठनों द्वारा संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित ‘पद्मावती’ का जबरदस्त विरोध किया जा रहा है। राजपूतों का आरोप है कि भंसाली ने इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया है। राजपूत संगठनों का कहना है कि फिल्म में महारानी पद्मावती के कैरक्टर का अनादर किया गया है।
जोशी ने कहा कि सेंसर बोर्ड किसी फिल्म के सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के लिए 68 दिन का समय लेता है ताकि पद्मावती जैसे हालत से निपटने के लिए उसके पास पर्याप्त समय हो। सेंसर बोर्ड चीफ ने IFFI के उद्घाटन समारोह के दौरान कहा, ‘हमे यह समझने की जरूरत है कि सीबीएफसी एक संतुलित निर्णय लेगा। सीबीएफसी ने मौजूदा स्थिति नहीं बनाई है। सड़कों पर जारी प्रदर्शन से हमारा कुछ लेना देना नहीं है। आप मीडिया हाउस को फिल्म दिखाते हैं और उनसे रिव्यू कराते हैं, फिर आप सोचते हैं कि सीबीएफसी भी अपना निर्णय तुरंत दे।’
बता दें कि सेंसर बोर्ड ने तकनीकी समस्या का हवाला देकर पद्मावती को उसके निर्माताओं को लौटा दिया था। जोशी ने कहा, ‘हम बहुत वक्त नहीं मांग रहे हैं। हम 68 दिन से पहले फिल्म को सर्टिफाई कर देते हैं। हम तभी समय मांगते हैं जब स्थिति अभी जैसी हो। यह नया नहीं है। सीबीएफसी तो इस तरह की स्थिति वर्षों से देखता आ रहा है। अगर कुछ लोग इसे नहीं देखना चाहते हैं तो यह उनपर निर्भर है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं संजय लीला भंसाली की इज्जत करता हूं। फिल्म समुदाय का सदस्य होने के नाते मैं उनकी स्थिति समझ सकता हूं, लेकिन यह स्थिति भंसाली के लिए नहीं है। यहां फिल्म को लेकर विवाद है।’ उन्होंने कहा कि यह समय तर्क करने का नहीं है। बातचीत का रास्ता आगे है। जोशी ने कहा, ‘हमे धैर्य रखने की जरूरत है। लोगों में नाराजगी, गुस्सा और विरोध है। इसको खत्म करने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं होगा तो सीबीएफसी के साथ यह न्याय नहीं होगा।’
उन्होंने कहा, ‘अगर आप समाधान चाहते हैं तो आपको सीबीएफसी को समय देना होगा ताकि हम सही से अपना फैसला ले सकें। इसीलिए इस मसले में शामिल सभी लोगों से मैं आग्रह करता हूं।’ जोशी ने कहा कि वह किसी प्रकार की हिंसा की निंदा करते हैं, लेकिन लोगों की भावनाओं का कद्र भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं किसी भी प्रकार की हिंसा की निंदा करता हूं, लेकिन मैं समाज के सभी वर्ग के लोगों की भावनाओं का कद्र भी करता हूं। इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए ही सीपीएफसी ठीक तरीके से निर्णय लेगा।’