नई दिल्ली
नोटबंदी ने वेडिंग इंडस्ट्री को बुरी तरह प्रभावति किया था। उससे जुड़े लम्हे सचिन सिंघल को अब भी अच्छी तरह याद हैं। ज्यादातर शादियों की तारीखें आगे बढ़ानी पड़ी थीं और उनका बजट 50 से 80 प्रतिशत तक घटाना पड़ा था। लोग शादी समारोहों में हाथ बांधकर खर्च करने लगे। इसके चलते जूलरी और डिजाइनर वेअर इंडस्ट्रीज लाइफ सपोर्ट पर आ गईं। भव्य भारतीय शादी समारोह बस नाम के रह गए। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान में दिए भाषण में वेडिंग मार्केट पर नोटबंदी के असर का जिक्र किया। उन्होंने कहा था, ‘घर में शादी है, पैसे नहीं हैं।’
नोटबंदी हुए सालभर हो गए हैं। वेडिंग पोर्टल बैंडबाजा के को-फाउंडर और सीईओ सिंघल बताते हैं कि वेडिंग इंडस्ट्री पूरी तरह से पटरी पर लौट आई है। डेस्टिनेशन वेडिंग्स की डिमांड में खासी बढ़ोतरी हुई है। ज्यादातर पेमेंट ऑनलाइन होने लगे हैं और लोगों ने शादी का बजट फिर बड़ा कर लिया है। बाजार का मूड बेहतर है। उन्होंने कहा, ‘इंडस्ट्री का आकर्षण लौट आया है। बैंड, बाजा और बारात फिर से पहले जैसे धमाकेदार हो गए हैं।’
दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहने वाले दीपक गुप्ता अपने बेटे की शादी पर खर्च में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ने जा रहे हैं। ‘मैंने इसी महीने हो रही बेटे की शादी पर दो करोड़ रुपये खर्च करने का प्लान बनाया है।’ गुप्ता का कहना है कि भव्य शादी विवाह के आयोजन का मतलब काला धन और धन संपत्ति का प्रदर्शन करना नहीं होता था। उन्होंने कहा, ‘मैं सारे पेमेंट चेक से कर रहा हूं। पिछले साल कैश नहीं होने के चलते शादियों की रौनक खत्म हो गई थी।’ हालांकि इस वेडिंग सीजन में कोई कमी नहीं रहने वाली है।
एशिया में ब्राइडल और लाइफ एग्जिबिशन की अगुवा कंपनी ब्राइडल एशिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर ध्रुव गुरवारा की बातों में भी बाजार को लेकर बड़ा उत्साह दिख रहा है। ध्रुव बताते हैं कि वेडिंग मार्केट में खर्च करने का हौसला कभी कम नहीं रहा है। उन्होंने कहा, ‘देश में भव्य विवाहों का दौर फिर आ गया है।’ नोटबंदी के चलते सिस्टम से निकला कैश वापस आ गया है और वेंडर्स को ऑनलाइन पेमेंट होने लगा है। मौजूदा सीजन ने लगभग 40 अरब डॉलर की वेडिंग इंडस्ट्री में नई जान डाल दी है।
वेडिंग प्लानर्स से लेकर वेन्यू ओनर्स और जूलरी डिजाइनर्स से ब्राइडल वेअर बूटीक तक, सभी उम्मीद से भरे नजर आ रहे हैं। आनंद साहनी हल्के फुल्के अंदाज में कहते हैं, पिछले साल मेहमान भी कम कैश के चलते कम गिफ्ट देकर निकल लेते थे। वेडिंग प्लानिंग पोर्टल वेडमीगुड के को फाउंडर साहनी की राय में इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ी पॉजिटिव बात यह है कि यह पहले जैसी हो गई है। एसोचैम की रिपॉर्ट के मुताबिक, इंडियन वेडिंग इंडस्ट्री एक लाख करोड़ रुपये की है और यह सालाना 25 से 30 पर्सेंट रफ्तार से बढ़ रही है। रिपोर्ट में शादियों का अनुमानित खर्च 3 लाख से 8 करोड़ रुपये लगाया गया है।
साहनी कहते हैं कि इस सीजन में लोग शोशेबाजी कम कर रहे हैं और बेहतर अनुभव पर फोकस कर रहे हैं। इसलिए गेस्ट लिस्ट छोटी हो रही है और डेकोरेशन ज्यादा पर्सनलाइज हो रहे हैं। इसके उलट फटॉग्राफी और ट्रैवल पर खर्च बढ़ रहा है। जिम कॉर्बेट पार्क और मसूरी लोकेशन ऑफबीट वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर उभर रहे हैं।