एमवाय अस्पताल की दूसरी मंजिल पर बने एनआईसीयू (नवजात बच्चों का आईसीयू) के स्टेप डाउन-1 में शाम को अचानक आग लग गई। उस वक्त 47 बच्चे भर्ती थे। नर्सिंग स्टाफ और मौजूद डॉक्टरों ने ट्रॉली धकेलने वाले और सुरक्षा कर्मचारियों की मदद से बच्चों को छत के रास्ते बाहर निकाला। बदहवास परिजन बच्चों को गोद में लेकर चाचा नेहरू अस्पताल दौड़े।
घटना गुरुवार शाम करीब 4.30 बजे हुई। उस वक्त एनआईसीयू में भर्ती 47 में से 19 गंभीर बच्चे स्टेप डाउन-1 में भर्ती थे, जबकि 28 स्टेप डाउन-2 में थे। स्टेप-1 में भर्ती कुछ बच्चे वेंटिलेटर पर भी थे। स्टेप डाउन-1 में लगे एसी से शुरू हुई आग ने पूरे एनआईसीयू को चपेट में ले लिया।
भर्ती बच्चों के माता-पिता ने बताया कि वे एनआईसीयू के बाहर बैठे थे। उन्होंने देखा कि नर्सिंग स्टाफ बच्चों को लेकर इधर-उधर भाग रहा है। आशंका होने पर वे भीतर दौड़े तो पता चला कि पूरे एनआईसीयू में धुआं भरा है। एनआईसीयू के भीतर बने एक वार्ड से चिंगारियां निकल रही हैं। इसी वार्ड में गंभीर बच्चे भर्ती थे।
इस बीच अस्पताल के कुछ और कर्मचारी भी पहुंचे। उन्होंने खिड़कियों के कांच फोड़े और स्ट्रेचर से बच्चों को छत पर पहुंचाया गया। एनआईसीयू में मौजूद डॉक्टर छत पर भी बच्चों के इलाज में लगे रहे। बाद में कुछ बच्चों को चाचा नेहरू अस्पताल और कुछ को पीआईसीयू में शिफ्ट किया गया। करीब तीन घंटे अफरा-तफरी मची रही।
घटना की होगी मजिस्ट्रियल जांच
आग की घटना की मजिस्ट्रियल जांच होगी। इस बारे में कमिश्नर संजय दुबे ने प्रभारी कलेक्टर रूचिका चौहान को निर्देश दिए हैं। शुक्रवार को जांच के आदेश होंगे। जांच में हादसे के पीछे के कारणों की पड़ताल की जाएगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि किसी स्तर पर अस्पताल प्रशासन की कोई लापरवाही तो नहीं थी, ताकि खामियों को दूर किया जा सके।
कमिश्नर ने बताया कि बड़ा हादसा होते-होते बच गया। आग संभवत: शॉर्ट सर्किट से लगी होगी, लेकिन जांच के बाद स्थिति साफ होगी। अस्पताल का एनआईसीयू करीब 20 साल पुराना है। बिजली का लोड अधिक है। प्रभारी कलेक्टर ने बताया कि शुक्रवार को जांच के आदेश जारी कर दिए जाएंगे। एनआईसीयू में सुरक्षा के तमाम बिंदुओं और कारणों की जांच होगी। भविष्य में इस तरह की घटना न हो इसके लिए भी जांच में सुझाव शामिल होंगे।