Home राज्य मप्र व्यापमं के कर्ताधर्ता आईएएस को सीबीआई ने नहीं बनाया आरोपी

व्यापमं के कर्ताधर्ता आईएएस को सीबीआई ने नहीं बनाया आरोपी

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भोपाल

मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) में हुए प्रवेश और भर्ती घोटाले में भी जांच एजेंसियों ने बड़े नौकरशाहों को बचा लिया। व्यापमं के कर्ताधर्ता यानी अध्यक्ष के पद पर जो जो आईएएस तैनात रहे, किसी के खिलाफ कार्रवाई तो दूर पूछताछ भी नहीं की गई।

घोटाले के आरोपी और व्यापमं के परीक्षा नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी ने हाईकोर्ट की निगरानी में हो रही जांच के दौरान एसटीएफ को बयान दिया था कि उसके द्वारा तत्कालीन चेयरमैन रंजना चौधरी को 42 लाख रुपए दिए गए थे।

बावजूद इसके किसी भी उन आईएएस अफसरों से पूछताछ नहीं हुई जिनके कार्यकाल में घोटाले को अंजाम दिया गया। गौरतलब है कि मेडिकल और भर्ती के लिए ही इस स्वायत्त संस्था व्यापमं में मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी अध्यक्ष के पद पर तैनात किया जाता रहा है।

मध्यप्रदेश कैडर की 1974 बैच की आईएएस रंजना चौधरी 1 फरवरी 2010 से 30 जून 2012 तक व्यापमं की चेयरमैन रहीं। इसी दरम्यान पीएमटी 2012 की परीक्षा सम्पन्न् हुई थी। जिसमें सर्वाधिक गड़बड़ियां कर फर्जी और अयोग्य छात्रों को निजी मेडिकल कालेजों में प्रवेश दे दिया गया। यह परीक्षा चौधरी के कार्यकाल में हुई थी।

व्यापमं घोटाले की जांच जब हाईकोर्ट की निगरानी में चल रही थी तब एसटीएफ ने पंकज त्रिवेदी के बयान पर चौधरी से पूछताछ की थी। त्रिवेदी ने एसटीएफ को बयान दिया था कि कम्प्यूटर शाखा के प्रभारी नितिन मोहिंद्रा से उसे 75 लाख रुपए मिले थे जिसमें उसने 42 लाख तत्कालीन अध्यक्ष को दिए थे।

सूत्रों का यह भी मानना है कि इसे आधार मानकर एसटीएफ ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश भी की थी । बाद में उन्होंने बयान देने के लिए व्यापमं के दस्तावेज भी देखने की अनुमति मांगी थी । इसी आधार पर एसटीएफ ने 2 मई 2015 को प्री पीजी 2012 के संबध में चौधरी से व्यापमं के दफ्तर में पूछताछ भी की थी ।

ऑब्जर्वर की भूमिका भी तय नहींं

सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे ने आरोप लगाया कि सीबीआई ने व्यापमं घोटाले में परीक्षा के दौरान नियुक्त किए जाने वाले ऑब्जर्वर्स की जिम्मेदारी तय नहीं की। पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को व्यापमं की परीक्षा के दौरान ऑब्जर्वर बनाया जाता था।

पीएमटी परीक्षा में हुई गड़बड़ी के बाद एसटीएफ ने जांच के दौरान कुछ ऑब्जर्वर्स से पूछताछ भी की थी। पूर्व आईपीएस अधिकारी नरेंद्र प्रसाद, पूर्व आईएएस अतुल सिन्हा, मलय राय ऑब्जवर्स रह चुके हैं। 2009-10 में पेपर लीक होने के बाद व्यापमं के तत्कालीन अध्यक्ष मलय राय ने ऑब्जर्वर्स को ओएमआर शीट की स्कैनिंग के दौरान व्यापमं मुख्यालय के कंट्रोल रूम में बैठाने की व्यवस्था की थी।

विभागों के प्रमुख सचिवों से भी पूछताछ नहीं

पूर्व विधायक पारस सखलेचा ने भी सीबीआई की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े किए हैं। सखलेचा ने कहा कि सीबीआई ने पीएमटी घोटाले में चिकित्सा शिक्षा विभाग के पूर्व डायरेक्टर को आरोपी बनाया, लेकिन विभाग के प्रमुख सचिव को छोड़ दिया। निजी मेडिकल कॉलेज गलत जानकारी भेजते रहे और ऐसे मामलों में विभाग के प्रमुख सचिव की भी जिम्मेदारी तय होती है।

कांग्रेस की गिरफ्त में आएंगे मगरमच्छ

अब तो साबित हो चुका है कि जिन बड़े मगरमच्छों को एसटीएफ ने बचाया, उनमें से कुछ को सीबीआई ने दबोच लिया, लेकिन सीबीआई जिन मगरमच्छों के आकाओं तक नहीं पहुंच पा रही है, वे कांग्रेस की गिरफ्त में आएंगे। – अरुण यादव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष

सीबीआई की चार्जशीट के बाद मुख्यमंत्री इस्तीफा दें : अजय सिंह

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणी के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सीडी में मुख्यमंत्री का नाम नहीं है, इस आधार पर वे क्लीन चिट नहीं ले सकते। उन्होंने कहा कि चार्जशीट में उच्च शिक्षा को 60 लाख और एक करोड़ में खरीदने का उल्लेख शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त माफिया को उजागर करते हैं।

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