नई दिल्ली
अपने अंतरराष्ट्रीय प्रॉजेक्ट OBOR (वन बेल्ट वन रोड) के जरिए पूरी दुनिया में धाक जमाने की तमन्ना पाले बैठे चीन को बड़ा झटका लग सकता है। इस प्रॉजेक्ट में पाकिस्तान चीन का अहम सहयोगी है। इसके तहत ही चीन-पाक आर्थिक गलियारे (CPEC) का निर्माण किया जा रहा है जिस पर चीन ने अरबों रुपये का निवेश पाकिस्तान में किया है, लेकिन इस निवेश के भविष्य को लेकर अभी से सवाल उठने शुरू हो गए हैं। जानकार मान रहे हैं कि पाकिस्तान में चीन के इस भारी भरकम निवेश का भविष्य भी वैसा ही हो सकता है, जैसा वेनेजुएला में हो रहा है।
ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, CPEC के तहत पाकिस्तान में निवेश किए गए 6-7 बिलियन डॉलर (करीब 42 हजार करोड़ रुपए) का बड़ा हिस्सा चीनी बैंकों की ओर से मुहैया कराया गया है। चीन के लॉन्ग टर्म इकनॉमिक विजन को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभा रहे चाइना डिवेलपमेंट बैंक (CDB) और उसके दो सहयोगी बैंकों ने पाकिस्तान में हाइवे, पावर प्लांट्स और बंदरगाह बनाने के लिए पूंजी उपलब्ध कराई है।
चीन के बैंकों ने वेनेजुएला में अरबों रुपये बंदरगाह, सड़क और हाई स्पीड रेलवे के निर्माण के लिए निवेश किए, लेकिन वहां गृहयुद्ध जैसे हालात के चलते यह रकम अब फंस गई है। चीन के पैसे से वहां किए जा रहे कई निर्माण कार्य खटाई में पड़ गए हैं। हाई स्पीड रेलवे के खंभों में कई जगहों पर तोड़फोड़ हुई जिसके चलते पूरा ढांचा तहस-नहस हो गया। ऐसे में वेनेजुएला सरकार ने आधिकारिक रूप से यह प्रॉजेक्ट बंद कर देने की घोषणा कर दी।
वेनेजुएला में अपने तीन बैंकों की दुर्गति से परेशान चीनी की सरकार ने उन्हें जनवरी के आखिरी हफ्ते में अपना बही-खाता दुरुस्त कर लेने की चेतावनी दी है। साथ ही वह ऐसा कोई किस्सा पाकिस्तान में भी दोहराए जाने की आशंका को लेकर सतर्क भी हो गई है। गौरतलब है कि पाकिस्तान में सरकारें कभी स्थिर नहीं रही हैं। सेना द्वारा तख्तापलट के कई किस्से वहां के इतिहास में दर्ज हैं। ऐसे में चीन को अब आशंका सता रहा है कि कहीं वेनेजुएला की तरह पाकिस्तान में भी निवेश किए गए अरबों रुपये फंस न जाएं।
आने वाले दिनों में अगर सीपीईसी को लेकर कुछ और विवाद सुनने को मिलें तो इसमें चौंकाने वाली कोई बात नहीं होगी। गौरतलब है कि अभी हाल में पाकिस्तान की सरकार ने चीन के दो प्रस्ताव नामंजूर किए हैं। एक तो पाक-अधिकृत कश्मीर में डैमर-भाशा पनबिजली परियोजना को पूरी तरह चीनी पूंजी से बनाने और चलाने का, दूसरा ग्वादर पोर्ट और उसके इर्द-गिर्द के पोर्ट जोन के निर्माण में सीधे चीनी मुद्रा के उपयोग का।