नई दिल्ली
चाबहार पोर्ट के जरिए पाकिस्तान को कनेक्टिविटी में दरकिनार करने के बाद भारत अब चीन को करारा जवाब देने के लिए तैयारी कर रहा है। चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड प्रॉजेक्ट’ का जवाब समझे जा रहे इंटरनैशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर को तेजी से पूरा करने की दिशा में भारत जुट गया है।
भारत और ईरान को जोड़ने वाले चाबहार पोर्ट के पहले फेज की रविवार को शुरुआत हुई थी। अब सबकी नजरें इंटरनैशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर प्रॉजेक्ट पर है, जिसकी शुरुआत भारत, ईरान और रूस ने 2000 में की थी। इसका एक ड्राई रन 2014 में हो चुका है। दूसरा ड्राई रन टलता आ रहा है। लेकिन सूत्रों ने बताया कि जनवरी में दूसरा ड्राई रन होने की उम्मीद है।
विदेश मंत्रालय में सेक्रटरी (इकनॉमिक रिलेशंस) विजय गोखले ने सोमवार को भारत और रूस के थिंक टैंकों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए कॉरिडोर को पूरा करने की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रूस ने चाबहार को बढ़ावा दिया, इससे हम उत्साहित हैं। भारत इंटरनैशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर को ऑपरेशनल करने के लिए रूस के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।
कॉरिडोर रेल, रोड और जलमार्ग के जरिए 7200 किलोमीटर लंबा रूट होगा, जो भारत को यूरोप से जोड़ेगा। सबसे पहले भारत के पश्चिमी तट पर जवाहरलाल नेहरू और कांडला बंदरगाहों से समुद्र के जरिए बंदर अब्बास (ईरान) तक माल ले जाया जाएगा। वहां से माल ईरान के कैस्पियन सागर स्थित पोर्ट बंदर-ए-अंजाली तक सड़क मार्ग से जाएगा। कैस्पियन सागर से शिप के जरिए माल रूस के अस्त्राखान पहुंचेगा। वहां से रेल लिंक के जरिए सामान यूरोप पहुंच जाएगा। मौजूदा मार्ग के मुकाबले यह कॉरिडोर 30 प्रतिशत सस्ता और 40 प्रतिशत छोटे रास्ते वाला होगा।