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जिनको हार पहनाकर किया था विदा, उनकी अर्थी सजाकर कर रहे थे इंतजार

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इंदौर

बेटमा का कचहरी घाट। हर समारोह का साक्षी बनता रहा। चारधाम की तीर्थयात्रा के लिए कस्बे के लोगों ने उन्हें धूमधाम, गाजे-बाजे से कचहरी घाट ही छोड़ा था। उन्हीं लोगों की अगवानी के लिए भी सब कचहरी घाट पर ही जमा होते, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। अपनों की मौत की खबर के 48 घंटे तक पार्थिव देह का इंतजार करना भी भाग्य में था। अकल्पित था, जिन लोगों को फूलमाला पहनाकर रवाना किया था, उन्हीं की अर्थियां घर के सामने सजाकर बैठे थे। तीन दिन से बह रही आंखें पथरा गई थीं। सबको पता था कि अब इन्हें लौटकर कभी वापस नहीं आना है, लेकिन इंतजार था अंतिम दर्शनों का।

उत्तरकाशी हादसे में घायलों और शवों को लाने के लिए सुबह से ही एयरपोर्ट पर परिजन जुटना शुरू हो गए थे। बुधवार रात की घोषणा के मुताबिक शवों के साथ घायल भी आने वाले थे। पहले विमान के आने का समय सुबह साढ़े 10 बजे तय था। फिर विमान के दोपहर डेढ़ बजे आने की बात कही गई। बाद में सूचना मिली कि विमान ने डेढ़ बजे उड़ान भरी है और वह पौने 3 तक आएगा। विमान करीब 2.55 पर आया।

विमान के आते ही कुछ देर में सीएम शिवराजसिंह चौहान भी विशेष विमान से इंदौर आए। एयरपोर्ट परिसर के भीतर ही उन्होंने घायलों से चर्चा की एयरपोर्ट पर धार सांसद सावित्री ठाकुर, विधायक रमेश मेंदोला, सुदर्शन गुप्ता, मनोज पटेल, महेंद्र हार्डिया और राजेश सोनकर भी पहुंचे। उन्होंने मृतकों को श्रद्धांजलि देकर घायलों के हाल जाने।

एम्बुलेंस की कड़ी जांच : सुबह से करीब एक दर्जन एम्बुलेंस और शव वाहन एयरपोर्ट पर आ गए थे। विमान आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मदद से एम्बुलेंस की गहन जांच की गई। पुलिस सुरक्षा में घायलों को एमवाय भेजा गया।

रास्ता देने के लिए हटाना पड़ी अर्थियां : इधर बड़े शव वाहनों के बेटमा में पहुंचने से गलियां छोटी पड़ गईं। शवों को पहले कचहरी घाट पर लाया गया। इसके बाद इन्हें घरों के लिए भेजा गया। जो शव पहले पहुंच गए। उन्हें अर्थी पर सजा लिया गया लेकिन पीछे से दूसरे शवों को लेकर आ रहे वाहनों को जगह देने के लिए अर्थियां हटाना पड़ीं।

ताबूत खोला तो मां की जगह निकला किसी और का शव
कुशवाह मोहल्ले में रहने वाली संतोष बाई की भी हादसे में मौत हो गई थी। उनके परिजन ने सुबह से अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली थी। दोपहर में जब शव को ताबूत से निकालकर अर्थी पर रखा तो पता चला कि यह किसी और का है। बेटे निर्मल और अमन ने तत्काल अधिकारियों को बताया कि उनकी मां के बाएं हाथ पर नाम गुदा था। मां ने छोटे टॉप्स पहन रखे थे जबकि इस शव पर ये निशानियां नहीं हैं।

इसी बीच अधिकारियों को पता चला कि शव उजालिया गांव की सायर बाई का है। सायर बाई की गणना अब तक इस हादसे में लापता लोगों में की जा रही थी। बाद में शव को उजालिया भेजा गया। अमन ने बताया कि उनकी मां खाना पकाने के लिए साथ गई थी। घटना के दो दिन पहले ही उनकी बात हुई थी। हालांकि अब भी उनके मन में आस है कि शायद उनकी मां जिंदा है।

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