नई दिल्ली
वैज्ञानिकों ने वर्षों के शोध के बाद पता लगाया है कि 26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया के सुमात्रा में 9.2 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद आई सुनामी में हिमालय की अहम भूमिका रही है. यह भूकंप इतना भयावह था कि 250,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिक एंड ओसियन रिसर्च से जुड़ा वैज्ञानिकों का एक दल यह पता लगाना चाहता था कि इतने भयावह भूकंप और सुनामी की आखिर क्या वजह रही और उन्हें इसका जवाब मिला- हिमालय’. इस शोध के नतीजे पत्रिका जर्नल साइंस के 26 मई के अंक में प्रकाशित हुए हैं.
सुमात्रा भूकंप का केंद्र हिंद महासागर में 30 किलोमीटर की गहराई में रहा, जहां भारत की टेक्टोनिक प्लेट आस्ट्रेलिया की टेक्टोनिक प्लेट के बॉर्डर को टच करती है. पिछले कई सौ वर्षो से हिमालय और तिब्बती पठार से कटने वाली तलछट गंगा और अन्य नदियों के जरिए हजारों किलोमीटर तक का सफर तय कर हिंद महासागर की तली में जाकर जमा हो जाती हैं.
वैज्ञानिकों का मानना था कि ये तलछट प्लेटों के बॉर्डर पर भी इकट्टा हो जाती हैं जिसे सब्डक्शन जोन भी कहते हैं जो भयावह सुनामी का कारण बनती हैं. लेकिन इंडोनिशिया और हिंद महासागर के बीच की प्लेट के नमूनों की जांच से अलग ही कहानी बयां होती है.
बेंगलुरू में जवाहरलाल नेहर सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च के लिए सुनामी भूविज्ञान के विशेषज्ञ सी.पी.राजेंद्रन ने कहा, ‘शोधकतार्ओं का कहना है कि सब्डक्शन जोन में तलछट का स्तर बढ़ने से सुनामी से होने वाली तबाही का स्तर भी बढ़ जाता है.’