इंदौर
राजस्थान के बहुचर्चित भंवरीदेवी हत्याकांड में करीब 6 साल से फरार मास्टरमाइंड इंद्रा विश्नोई को राजस्थान एटीएस ने शुक्रवार रात जिले के नेमावर में नर्मदा तट स्थित नागर घाट के हनुमान-सह-शिव मंदिर से गिरफ्तार कर लिया। यह स्थान मस्तगिरी आश्रम के नाम से भी जाना जाता है। इंद्रा यहां साध्वी के भेष में थी और डेढ़ साल से अधिक समय से इसी तरह रह रही थी। वह अपना नाम गीताबाई बताती थी और शिवलिंग पर मिर्च चढ़ाती थी।
भंवरीदेवी हत्याकांड में फरार इंद्रा विश्नोई कितनी शातिर थी इस बात से लगाया जा सकता है कि वह राजस्थान से सैकड़ों किमी दूर देवास के पास नेमावर जैसी छोटी जगह आकर रहने लगी थी। यहां आने के बाद उसने खुद को मुसीबत की मारी एक धार्मिक महिला बताया था।
लोगों ने बताया कि इंद्रा जब हनुमान मंदिर में पूजा के लिए आई तभी एटीएस की टीम वहां आ धमकी और उसे गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान उसने किसी प्रकार का विरोध नहीं किया, बस हंसते हुए उनके साथ चली गई। इंद्रा यहां एक आश्रम में साध्वी बनकर रह रही थी। करीब 2 साल पहले वह पूर्व शिक्षक स्वर्गीय रतनलाल पाराशर की पत्नी स्वर्गीय रुक्मिणी देवी के संपर्क में आई थी। पति की मौत के बाद रुकमणि यहां अकेले रहती थी। उनके पुत्र गजानंद हरदा में एक मंदिर में पुजारी हैं।
इसके बाद इंद्रा रुक्मिणी देवी के साथ वह उनके घर पर रहने लगी थी। वह उनकी देखभाल और सेवा करती थी। अक्टूबर 2016 में रुकमणि की मौत के बाद बेटे गजानन ने घर के देखरेख की जिम्मेदारी एक रिश्तेदार को दे दी थी। इंद्रा के धार्मिक स्वभाव से प्रभावित होकर रिश्तेदार ने उसे वहां रहने की अनुमति दे दी थी।
गजानंद पाराशन बताते हैं कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि खुद को अनाथ और धार्मिक बताने वाली ये महिला इतनी शातिर निकलेगी। उन्होंने कहा कि संभवत: इसने मां पर कोई जादू टोना करवा दिया था, जिसके चलते मां वो इसकी बातों आ गई थी।
गजानंद ने बताया कि घर से निकलने के बाद वह ज्यादातर समय घाट स्थित मंदिर, अाश्रम या कुटिया में बिताती थी। गजानंद ने बताया कि गीताबाई कुछ जानने वाले हरदा में रहते हैं। वह कई बार उनसे मिलने जाते थे। कई बार वे भी यहां आते थे। इसलिए कभी शक नहीं हुआ।
सुबह-शाम पूजन करती थी, मिर्ची से पूजन करती थी
इंद्रा सुबह पहले नर्मदा स्नान करती थी। इसके बाद वह हनुमान मंदिर में पूजा कर वहीं कुछ देर रहती थी। इसके बाद वह दोपहर में गांव लौट जाती थी। इसके बाद शाम को फिर से घाट पर आ जाती थी और पूजन के बाद कई बार वहीं आश्रम में सो जाती थी।
मस्तगिरी आश्रम में आकर रुके हुए नर्मदा परिक्रमावासी उमानंदगिरी ने बताया मैं तो परिक्रमा पर हूं और यहां आश्रम में रुका हुआ था। गुरुवार को शिवलिंग पर मिर्च चढ़ाने पर मैंने उस महिला (इंद्रा) को टोका तो उसने कहा कि मेरा परिवार वालों से झगड़ा चल रहा है, इसलिए एक महात्मा ने मुझे मिर्च चढ़ाने की सलाह दी है।
इंद्रा ने कराई थी प्लास्टिक सर्जरी
टीआई तुरसिंह डाबर ने बताया कि टीम जब इंद्रा को पकड़ने गई तो जो फोटो उनके पास था, उससे गीता उर्फ इंद्रा का चेहरा मिलान नहीं हो रहा था। इंद्रा ने बताया कि उसने प्लास्टिक सर्जरी करवाई थी।
पांच लाख रुपए का इनाम
इंद्रा पर सीबीआई ने पांच लाख रुपए का इनाम रखा था। 3 नवंबर 2011 को सीबीआई ने पहली बार उससे पूछताछ थी। एक महीने में उससे 6 बार पूछताछ की गई। फिर 3 दिसंबर 2011 को वह फरार हो गई थी। एटीएस उसे सीबीआई को सौंपेगी।
२ महीने से थी नजर
इंद्रा के देवास में होने की खबर उदयपुर एटीएस चौकी को करीब दो महीने पहले मिली थी। इसके बाद एटीएस के एडीजी उमेश मिश्रा, आईजी बीजू जार्ज जोसफ और एएसपी शांतनु कुमार की मॉनिटरिंग में टीमें उसकी तलाश में जुट गईं। एडीजी उमेश मिश्रा ने बताया कि साढ़े पांच साल बीतने और गरीबों जैसी हालत में होने की वजह से इंद्रा की फोटो के आधार पर पहचान नहीं हो पा रही थी। इस बीच एक महीने पहले बीजू को फिर पता चला कि इंद्रा देवास में ही है। उसकी तलाश की गई तो वह देवास में मिल गई।
क्यों किया था भंवरी काे अगवा?
आरोप है कि भंवरी देवी के राजस्थान के पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा से रिश्ते थे। उनके साथ उसकी सीडी भी थी। कहा जाता है कि भंवरी के इंद्रा के भाई और पूर्व एमएलए मलखान सिंह विश्नोई से भी संबंध थे। उससे एक बेटी भी थी। भंवरी उस बेटी का हक मांगने की धमकी दे रही थी। इंद्रा ने उसे ऐसा करने से रोका था। इंद्रा, भंवरी के पास मौजूद मदेरणा की सीडी भी हासिल करना चाहती थी। इसके लिए उसने अपने भाई मलखान और रिश्तेदार सोहनलाल की मदद से भंवरी को अगवा करवा लिया था।
क्यों हुआ भंवरी का मर्डर?
भंवरी का 1 सितंबर 2011 को अपहरण किया गया था। अगवा करने के बाद भंवरी को विश्नाराम की गैंग को सौंप दिया गया। यह गैंग कुछ दिन तक भंवरी को टॉर्चर कर सीडी हथियाने की कोशिश करता रहा। सीडी का पता चला तो उसे हासिल करने के लिए कार से भंवरी के साथ निकले। रास्ते में भंवरी ने ज्यादा विरोध किया तो उसका मर्डर कर दिया गया।