मंदसौर
मध्य प्रदेश के मंदसौर में आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस की फायरिंग में 6 किसानों की मौत हो गई है जबकि कई घायल हुए हैं। मंगलवार शाम सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे की राशि 10 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए कर दी। उन्होंने विरोध-प्रदर्शन का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस ने हिंसा भड़काने का सुनियोजित प्रयास किया, जिसकी बलि कुछ साथी चढ़ गए।
प्रदेश के किसानों से शांति की अपील करते हुए सीएम ने घोषणा कि मृतकों के परिजनों में से एक को सरकारी नौकरी मिलेगी वहीं घायलों का इलाज कराने के अलावा सरकार 5 लाख रुपए मुआवजा भी देगी। उन्होंने कहा कि सरकार उनके साथ है। बता दें कि सीएम चौहान पहले ही पुलिस फायरिंग की न्यायिक जांच के आदेश दे चुके थे।
मंगलवार को हुए प्रदर्शन में 6 किसानों की मौत की खबर के बाद राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने बुधवार को प्रदेश व्यापी बंद का आह्वान किया है। इसके पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा, ‘वह शुरू से किसान प्रदर्शन के दौरान हिंसा की जिम्मेदार विपक्षी कांग्रेस को ठहरा रहे हैं। सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और किसानों के साथ है लेकिन कांग्रेस षडयंत्र के जरिए हिंसा को बढ़ा रही है। कई कांग्रेसी नेताओं ने ऐसा किया है।’
मध्य प्रदेश के किसानों ने अपने उपज के वाजिब दाम दिलाने सहित अपनी 20 सूत्रीय मांगों को लेकर 1 जून से 10 जून तक आंदोलन की घोषणा की है। प्रदेश में किसानों से जुड़े विभिन्न यूनियनों का आंदोलन जारी है। सोमवार को भी पश्चिमी मध्य प्रदेश के धार, देवास, झाबुआ, मंदसौर एवं नीमच जिलों सहित कई स्थानों पर तोड़फोड़ एवं हिंसक घटनाएं देखने को मिलीं थी। एमपी में किसानों के राज्यव्यापी प्रदर्शन को देखते हुए मंदसौर, रतलाम और उज्जैन में इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है।
इस बीच मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आंदोलन कर रहे लोगों को किसान नहीं बल्कि असामाजिक तत्व कहा है। सीएम शिवराज नेअपनी सरकार को किसान हितैषी सरकार बताते हुए कहा कि उनकी सरकार सदैव किसानों के कल्याण के लिये कार्य करती है और जो लोग आंदोलन समाप्त होने की घोषणा के बाद भी हिंसा एवं उपद्रव कर रहे हैं, वे किसान नहीं, बल्कि असामाजिक तत्व हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश में किसानों के आंदोलन को लेकर असमंजस की स्थिति है। भारतीय किसान संघ (बीकेएस) और मध्य प्रदेश किसान सेना ने शिवराज से मुलाकात के बाद आंदोलन को खत्म करने की घोषणा की थी। हालांकि राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ जैसे दूसरे संगठन अभी भी आंदोलनरत हैं। इसी दौरान एक फिर मंदसौर में हिस्सा भड़क उठी है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, राज्य में किसान अपनी मांगों को लेकर मंगलवार सुबह से अलग-अलग स्थानों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. नीमच-मंदसौर मार्ग पर स्थित पिपलिया मंडी में भी किसान सड़कों पर उतरे. किसानों ने सड़क से गुजरते ट्रकों से सब्जी और फलों को फेंकना शुरू कर दिया. कई वाहनों पर पथराव किया और तोड़फोड़ की. पुलिस बल और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों ने किसानों को खदेड़ने की कोशिश की.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, ‘पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसानी शुरू की तो किसानों ने पथराव कर दिया. पुलिस ने भी पत्थरों का इस्तेमाल किया. इसी दौरान पुलिस ने गोलीबारी शुरू कर दी. सबसे पहले गोली बबलू पाटीदार को लगी, एक मोटर साइकिल सवार बबलू को अपनी मोटर साइकिल से लेकर मंदसौर जिला अस्पताल की ओर बढ़ा, उस पर भी पुलिस वालों ने लाठियां बरसाई. बबलू की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई.’ आंदोलन से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि मंदसौर से इलाज के लिए इंदौर ले जाते वक्त छात्र अखिलेश व सत्यनारायण की मौत की भी मौत हो गई.
पाटीदार समाज का ऐलान, शिवराज के आने पर ही होगी अंत्येष्टि
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में फायरिंग में छह किसानों की मौत के बाद स्थानीय लोगों का आक्रोश फूट पड़ा है. इलाके में खासा दबदबा रखने वाले पाटीदार समाज ने ऐलान किया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के आने के बाद ही फायरिंग में मारे गए किसानों की अंत्येष्टि की जाएगी. मंदसौर, नीमच, के अलावा उज्जैन, धार सहित आसपास के अन्य जिलों में पाटीदार समाज का बहुत बड़ा तबका है. समाज से जुड़े किसानों की फायरिंग में मौत के बाद समाज ने शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पाटीदार समाज के पदाधिकारियों ने ऐलान किया है कि मुख्यमंत्री के आने तक मृतक किसानों का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा.