नई दिल्ली
खेती-किसानी और अर्थव्यवस्था के लिए यह खबर राहत भरी हो सकती है। मौसम विभाग ने इस साल मॉनसून को लेकर अपनी भविष्यवाणी में सुधार करते हुए 98 फीसदी वर्षा होने का अनुमान लगाया है। इससे पहले अप्रैल में मौसम विभाग ने मॉनसून में 96 फीसदी बारिश का अनुमान जताया था। भारतीय मौसम विभाग के डायरेक्टर जनरल के.जे. रमेश ने कहा कि अल-नीनो के बाधा पैदा होने की संभावनाएं कम होने के चलते बारिश के अनुमान में यह सुधार किया गया है। रमेश ने कहा, ‘इस साल हम पूरे देश में अच्छा मॉनसून रहने की उम्मीद कर रहे हैं। जुलाई में लॉन्ग पीरियड एवरेज का 96 फीसदी हिस्सा रह सकता है, जबकि अगस्त में 99 पर्सेंट बारिश हो सकती है।’
लू से जल्द मिलेगी राहत
उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्र और मध्य भारत के बड़े हिस्से में कई दिनों से चल रही गर्म हवाओं से आने वाले एक से दो दिन में राहत मिल सकती है। बारिश के चलते तापमान में गिरावट आ सकती है। पश्चिमी विक्षोभ के चलते आने वाले दिनों में बारिश की संभावना है, इससे क्षेत्र में लू से जूझ रहे लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
मॉनसून के अनुमान में सुधार
रमेश ने कहा कि मध्य भारत में लॉन्ग पीरियड एवरेज के मुताबिक 100 पर्सेंट तक बारिश हो सकती है। दक्षिणी भारत में 99 फीसदी बारिश की उम्मीद है, जहां बड़ा इलाका सूखे की मार झेल रहा है। उत्तर-पर्व और उत्तर-पश्चिम भारत में 96 फीसदी बारिश होने की उम्मीद है। इस इलाके के लोगों के लिए यह खबर बहुत उत्साहजनक नहीं है क्योंकि बीते तीन सालों से यहां के लोग लगातार कमजोर मॉनसून का सामना कर रहे हैं। उत्तर-पश्चिम भारत के राज्यों में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड आते हैं। इन राज्यों में 96 फीसदी के करीब बारिश होगी।
अल-नीनो की संभावना कम
मौसम विज्ञान की परिभाषा के मुताबिक 96 से 104 पर्सेंट बारिश को सामान्य माना जाता है। इससे कम बारिश को मॉनसूम में कमी के तौर पर देखा जाता है। वहीं, 100 से 104 तक बारिश को सामान्य से अधिक की श्रेणी में रखा जाता है। इससे अधिक बारिश को भारी वर्षा की श्रेणी में माना जाता है। मौसम विभाग के चीफ ने अल-नीनो की संभावनाओं को भी खारिज किया।
रमेश ने कहा, ‘फरवरी में सभी वेदर मॉडल्स ने अल-नीनो आने की संभावना जताई थी। लेकिन, अब मॉडल रीडिंग्स से पता चलता है कि इस साल के अंत तक स्थिति सामान्य रह सकती है।’ यही नहीं अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के मौसम विभाग और संबंधित संस्थानों ने भी अल-नीनो की संभावना को खारिज किया है। भारत में आधे से अधिक खेती मॉनसून में निर्भर है। ऐसे में बारिश कम होने पर अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर की संभावना रहती है।