मुंबई
अपनी फसिलटी के लिए चर्चाओं में रही तेजस एक्सप्रेस एक बार फिर चर्चाओं में है। ट्रेनों के लेट होने के लिए अक्सर आलोचना झेलने वाला भारतीय रेलवे अब अपनी समय की पाबंदी को लेकर तारीफ बटोर रहा है। मामला हाल ही में लॉन्च हुई तेजस एक्सप्रेस का है। गोवा (करमाली) से तीन घंटे लेट निकली ट्रेन एक मिनट पहले ही मुंबई (सीएसटी) पहुंच गई। तेजस एक्सप्रेस सुबह 7:30 पर गोवा से निकलती है और शाम 7:45 बजे मुंबई पहुंचती है। लेकिन रविवार को ट्रेन गोवा से 10:30 बजे रवाना हुई। बता दें कि तेजस देश की सबसे तेज गति की ट्रेनों में से एक है। इसकी अधिकतम स्पीड 200 किलोमीटर प्रति घंटा है।
स्पीड मेनटेन करने से मिली सफलता
कोंकण रेलवे के प्रवक्ता एलके वर्मा ने बताया कि टाइमटेबल में देरी की वजह से तेजस गोवा से 3 घंटे देरी से रवाना हुई। वर्मा ने बताया, ‘तेजस कुंडल स्टेशन पर 17 मिनट, रत्नागिरी पर 1 घंटा और पनवेल पर 14 मिनट देरी से थी।’ ऐसे में रेलवे ने स्पीड मेनटेन करते हुए ट्रेन को समय पर पहुंचाने का निर्णय लिया। ऐसे में ट्रेन को कर्मली से कुडल तक 153 किमी प्रतिघंटा, और अन्य कुछ स्टेशनों के बीच 137 और 125 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से दौड़ी। इसका यह नतीजा हुआ कि ट्रेन ने अपना लेट समय भी मैनेज कर लिया और समय से एक मिनट पहले अपने गन्तव्य तक पहुंच गई।
यह है खासियत
अपने नाम के अनुकूल इस ट्रेन की खासियत यह है कि यह 200 किमी की स्पीड से चल सकती है। लेकिन चूंकि अभी भारत में पटरियां इस लायक नहीं हैं कि ट्रेन को 200 किमी की रफ्तार पर चलाया जा सके, इसलिए फिलहाल यह अधिकतम 130 किमी की रफ्तार से ही चलेगी, लेकिन अगर किसी रूट पर पटरियों में बदलाव करके उन्हें 200 किमी की स्पीड लायक बनाया जाता है तो इस ट्रेन को उस वक्त 200 किमी की रफ्तार से चलाया जा सकेगा।
एलसीडी और वाईफाई
इस ट्रेन की खासियत यह है कि विमानों की तरह ही इस ट्रेन की हर सीट के पीछे एलसीडी स्क्रीन लगी होगी। जिस पर यात्री मनोरंजक कार्यक्रम देख सकेंगे। ट्रेन में वाईफाई की भी सुविधा है। यही नहीं, विमान में जरूरत पड़ने पर बटन दबाने के बाद जिस तरह से एयर होस्टेस आती हैं, वैसे ही इस ट्रेन में अटेंडेंट को बुलाने के लिए कॉल बेल का प्रावधान किया गया है। ट्रेन के शौचालयों में टच लेस नल लगे हैं और बायो वैक्यूम सिस्टम भी है। ट्रेन में सीसीटीवी कैमरों के अलावा पैसेंजर इन्फर्मेशन सिस्टम लगाया गया है ताकि पैसेंजर को पता चल सके कि अगला स्टेशन कौन सा आने वाला है। ट्रेन में एलईडी लाइटिंग के अलावा डेस्टिनेशन बोर्ड भी डिजिटल लगाए गए हैं।