भोपाल
2008 से यह सपना प्रदेश सरकार हमें दिखा रही है। इस बीच जयपुर, लखनऊ, चेन्न्ई समेत पांच शहरों में मेट्रो रेल का संचालन शुरू हो चुका है। शनिवार को कोच्चि ने और भी तेजी दिखाते हुए देश की पहली लाइट मेट्रो ट्रेन चलाने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। जबकि भोपाल-इंदौर ने देश में सबसे पहले लाइट मेट्रो रेल प्रस्तावित की थी।
भोपाल ने देश में पहली बार 2013 में लाइट मेट्रो की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का फैसला लिया था। 2017 तक इसके निर्माण का लक्ष्य रखा गया था। अब तक सिर्फ डीपीआर के रूप में 20 हजार कागजों का पुलिंदा तैयार हुआ है। आलम यह है कि जापान की एजेंसी जायका और यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक तक कर्ज देने से इनकार कर चुके हैं। अब एडीबी से कर्ज लेने की कवायद चल रही है। हालांकि विशेषज्ञ प्रदेश में मेट्रो का सपना
लाइट मेट्रो इसलिए जरूरी
दिल्ली में आबादी और घनत्व की वजह से मेट्रो को रोजाना 30 लाख यात्री मिल रहे हैं। लेकिन जयपुर में महज 24 हजार, बेंगलुरु में 22 हजार और चेन्न्ई में 12 हजार यात्री रोजाना मिल पा रहे हैं। यहां सभी जगह दिल्ली की तरह हैवी मेट्रो है लेकिन कम यात्रियों की वजह से घाटा हो रहा है। जयपुर में 3 की बजाय 15 मिनट के अंतराल पर मेट्रो चलाना पड़ रही है। अब छोटे शहरों में लाइट मेट्रो की मांग उठ रही है। लाइट मेट्रो की खासियत यह है कि यह हैवी मेट्रो जितना 50 हजार यात्री एक घंटे में एक दिशा में ले जा सकती है।