क्या बीजेपी के लिए साल 2019 के लोकसभा चुनावों का रास्ता सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक पर दिए फैसले से शुरू होगा? और क्या इस ऐतिहासिक फैसले से मुस्लिम समुदाय में बीजेपी अपनी पैठ बना पाएगी. इस बारे में काफी चर्चा है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कई अवसरों पर मुस्लिम महिलाओं के समर्थन में बयान दिए हैं. उन्होंने तीन तलाक का विरोध करते हुए महिला सशक्तिकरण की बात कही है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीफ करते हुए इसे मुस्लिम महिलाओं में समानता के नए युग की शुरूआत बताया.
शाह ने अपने बयान में कहा, ‘बीजेपी आज के आदेश को नए भारत की दिशा में एक कदम की तरह देखती है.’ निश्चित रूप से बीजेपी आने वाले दिनों में अल्पसंख्यकों को अपने साथ लाने पर काम करेगी. तीन तलाक के विरोध को बीजेपी का समर्थन पार्टी के उस बड़े प्रयास का हिस्सा है, जिसके जरिए वह राजनीतिक विरोधियों में विरोधाभास पैदा करना चाहती है. विशेष रूप से कांग्रेस ओर उदार वामपंथियों में.
बीजेपी के एक नेता ने बताया, ‘वाम दल उदार हैं और कांग्रेस भी. वे इतने सालों तक अल्पसंख्यकों के सहारे जिंदा रहे. लेकिन तीन तलाक जैसे मामलों पर वे बैकफुट पर हैं और इससे उनका आतंरिक विरोधाभास सामने आ गया.’ हैरानी की बात नहीं है कि अमित शाह की प्रेस कांफ्रेंस के कुछ देर बाद ही कांग्रेस ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया.
साल 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान भी एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने मुस्लिम समुदाय के नेताओं से मुलाकात की थी. उस बैठक में काफी बड़े-बड़े भाषण दिए गए थे. कई वक्ताओं ने कहा था कि बीजेपी राष्ट्रीय दल होने के नाते मुसलमानों को नजरअंदाज नहीं कर सकती. बीजेपी के एक अन्य नेता ने बताया, ‘अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व सरकार में कम हो रहा है. इससे नीति में बदलाव की मांग जोर पकड़ेगी. आप एक बड़े चुनावी समुदाय को बीजेपी से दूर नहीं रख सकते.’
उत्तर प्रदेश चुनावों में जीत के बाद बीजेपी के कई नेताओं ने मुस्लिम बहुल इलाकों में जीत के श्रेय में मुस्लिम महिलाओं के वोट को भी दिया था. हालांकि, इसका कोई सबूत नहीं है. इन चुनावों के दौरान पार्टी ने कई बार इस मुद्दे को उठाया. और लगता है कि तीन तलाक तो राजनीतिक धारा में बड़ा बदलाव लाने की बीजेपी के प्रयास का पहला हिस्सा भर है.
धारा 370 और 35(ए) पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर ही रहा है. यह मसला जनसंघ के दिनों से ही पार्टी की विचारधारा में शामिल है. नेहरू की कश्मीर नीति का विरोध करते हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ‘एक विधान, एक निशान और एक प्रधान’ का नारा दिया था.
दशकों बद बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश में पालमपुर में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अयोध्या की विवादित जमीन हिंदुओं को सौंपने का प्रस्ताव पास किया था. उसके बाद से बीजेपी इसे ‘आस्था का सवाल’ बताती रही है. यह मामला भी कोर्ट में है. तीसरा मसला समान नागरिक संहिता का है. इस पर लॉ कमीशन पहले ही एक प्रश्नावली जारी कर चुका है. ये तीनों मसले बीजेपी की मूल विचारधारा का हिस्सा है.