नई दिल्ली
इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) का कहना है कि अगर भारत फूड और एनर्जी पर सब्सिडी समाप्त कर दे तो देश के प्रत्येक व्यक्ति को सालाना 2,600 रुपये की यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) उपलब्ध कराई जा सकती है। हाल के समय से यूबीआई के मुद्दे पर काफी बहस हुई है और बहुत से देशों में इसका परीक्षण किया जा रहा है। आईएमएफ ने भारत के लिए इसकी संभावना पर विचार किया है।
हालांकि, आईएमएफ का कैलक्युलेशन 2011-12 के डेटा पर आधारित है और एनडीए सरकार के तहत फ्यूल सब्सिडी में आई भारी कमी और आधार के जरिए अन्य सब्सिडी के वितरण के मद्देनजर इस डेटा को अजस्ट करने की जरूरत है। यूबीआई की इतनी कम रकम के लिए भी जीडीपी के 3% की फिस्कल कॉस्ट आएगी। हालांकि इससे पब्लिक फूड डिस्ट्रीब्यूशन और फ्यूल सब्सिडी को लेकर कुछ समस्याओं से निपटा जा सकेगा।
इससे जनवितरण प्रणाली (पीडीएस) में लोअर इनकम ग्रुप की पूरी कवरेज न होने, अधिक आमदनी वाले लोगों के सब्सिडी के बड़े हिस्से को हासिल करने जैसी समस्याएं दूर हो सकती हैं। आईएमएफ का कहना है कि यूबीआई को लेकर बहस सरकार की मौजूदा सब्सिडी व्यवस्था के एक विकल्प की संभावना के तौर पर की जा रही है। आईएमएफ का मानना है कि सब्सिडी की मौजूदा व्यवस्था में कमियां हैं और इस वजह से इनका लाभ ऐसे वर्गों को पूरी तरह नहीं मिल पाता जो इसके हकदार हैं।
2,600 रुपये की यूबीआई का आंकड़ा इस आधार पर निकाला गया है कि यह देश में फूड और फ्यूल सब्सिडी की जगह लेगी। हालांकि, इसका एक दूसरा पहलू यह है कि बड़े स्तर पर सब्सिडी को समाप्त करने के लिए कीमतों में काफी बढ़ोतरी करने की जरूरत होगी। आईएमएफ ने इसके लिए 2016 की एक स्टडी का हवाला दिया है। आईएमएफ का कहना है कि इससे यूबीआई के लिए फंड उपलब्ध हो सकेगा।
आईएमएफ के अनुमान के अनुसार, 2,600 रुपये की सालाना यूबीआई 2011-12 में प्रति व्यक्ति खपत के लगभग 20 पर्सेंट के बराबर है। आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यूबीआई को लागू करने से मिलने वाले संभावित फायदों के लिए राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक चुनौतियों से निपटने की योजना सावधानी से बनाने की जरूरत होगी क्योंकि सब्सिडी व्यवस्था में सुधार के लिए बड़े स्तर पर कीमतों में वृद्धि करनी पड़ेगी।’